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महामंडलेश्वर सच्चिदानंद की पदवी जांच में घिरी

संतों की तपोभूमि इलाहाबाद के प्रयाग एक बार फिर चर्चा में हैं। संतों के ही बीच। शुक्रवार को यहां महामंडलेश्वर की पदवी पाने वाले सच्चिदानंद पर बीयर बार और डिस्को संचालन के साथ रियल स्टेट कारोबार से जुड़े होने का मामला सामने आने के बाद अखाड़ा परिषद ने उनसे जुड़े

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2015 10:53 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2015 10:55 PM (IST)
महामंडलेश्वर सच्चिदानंद की पदवी जांच में घिरी

लखनऊ। संतों की तपोभूमि इलाहाबाद के प्रयाग एक बार फिर चर्चा में हैं। संतों के ही बीच। शुक्रवार को यहां महामंडलेश्वर की पदवी पाने वाले सच्चिदानंद पर बीयर बार और डिस्को संचालन के साथ रियल स्टेट कारोबार से जुड़े होने का मामला सामने आने के बाद अखाड़ा परिषद ने उनसे जुड़े तथ्यों की पड़ताल का फैसला लिया है। परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने दैनिक जागरण से कहा कि यदि मीडिया के किसी भी वर्ग में उंगली उठाई गई है तो जांच कराई जाएगी। यदि सच्चिदानंद के बारे में आपत्तिजनक बात सामने आती है तो उनकी पदवी वापस ले ली जाएगी।

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बताते चलें कि गुरु पूर्णिमा पर सच्चिदानंद गिरि का महामंडलेश्वर पद का पट्टाभिषेक हुआ था। संत-महात्माओं संग कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव और पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह भी इस मौके पर मौजूद थे। बताया जाता है कि मूल रूप से गाजियाबाद निवासी सचिन, अग्नि अखाड़ा के महामंडलेश्वर कैलाशानंद से पिछले 20-22 साल से जुड़े हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि कहते हैं कि कैलाशानंद के सानिध्य में उन्होंने संन्यास लिया था और उनका नाम सच्चिदानंद ब्रह्मचारी पड़ा। कैलाशानंद की अनुसंशा से ही उन्हें निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया। बकौल नरेंद्र गिरि, यदि सच्चिदानंद ने संन्यास धर्म ग्रहण करने के बाद घर परिवार तथा व्यवसाय से खुद को अलग कर लिया है तो उनके मनोनयन में कहीं कोई दिक्कत नहीं है। फिर भी यदि कोई ऐसी बात सामने आती है जो संत समाज की प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं हुई तो पदवी वापस लेकर उन्हें अखाड़े से बाहर कर दिया जाएगा। सच्चिदानंद के बारे में यह तथ्य सामने आया है कि दिल्ली-एनसीआर के सबसे बड़े डिस्को और बीयर बार में से एक के वह संचालक हैं। साथ ही उन्होंने रियल स्टेट का काम भी शुरू किया। नरेंद्र गिरि का कहना है कि यदि बार उनके परिवार के लोग चलाते हैं तो इसमें सच्चिदानंद कहां से दोषी हो जाएंगे। संत का घर-परिवार से कोई संबंध नहीं रह जाता।

महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया

अखाड़ों का महामंडेलश्वर बनने की प्रक्रिया अत्यंत कठिन है। संन्यासी जिस अखाड़ा का महामंडलेश्वर बनते हैं उससे कम से कम दस वर्ष का जुड़ाव होना चाहिए। धर्मशास्त्र का ज्ञान, निर्विवाद एवं सनातन धर्म के प्रति समर्पण को परखकर ही अखाड़ा महामंडलेश्वर की पदवी दी जाती है।

क्यों बनते महामंडेलश्वर

कुंभ पर्व में होने वाली पेशवाई व शाही स्नान में अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्वर के साथ महामंडलेश्वर रथ पर सवार होकर निकलते हैं। चांदी के सिंहासन में विराजमान होकर रत्न जडि़त छत्र उनकी शोभा बढ़ाती है। कुंभ स्थलों पर महामंडलेश्वर के लिए अलग से शिविर की व्यवस्था होती है। प्रशासन उनका विशेष ध्यान रखते हुए सुरक्षा व्यवस्था भी मुहैया कराते हैं।

रियल स्टेट कारोबार से जुड़े सचिन

इलाहाबाद में महामंडलेश्वर बने सचिन दत्ता उर्फ सचिदानंद गिरी महाराज बीयर बार और डिस्को संचालन के साथ रियल स्टेट कारोबार से भी जुड़े हैं। दिल्ली-एनसीआर के सबसे बड़े डिस्को और बीयर बार में से एक के वह संचालक भी हैं। यह बीयर बार सेक्टर 18 नोएडा में है। सचिन दत्ता ने बीयर बार का काम पोंटी चड्डा के साथ मिलकर सेक्टर 18 में शुरू किया था। फिर उन्होंने इस काम को अकेले करना शुरू कर दिया। इसी बीच उन्होंने बालाजी बिल्डर के नाम से रियल स्टेट का काम भी शुरू किया। नोएडा और गाजियाबाद में उनके कई प्रोजेक्ट हैं। सचिन दत्ता पर कुछ साल पहले बिसरख में फायङ्क्षरग करने का भी आरोप लगा था। हालांकि इस संबंध में कोई एफआइआर नहीं लिखी गई। सचिन दत्ता पर पंजाब से एक मामले में गैर जमानती वारंट जारी होने की भी सूचना है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है।


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