प्राइवेट प्रैक्टिस मिली तो सीएमओ-एडी हटेंगे : स्वास्थ्य मंत्री
प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों पर और लगाम कसते हुए अब जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) व मंडलों के अपर निदेशक (एडी) को जिम्मेदार बनाया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने कहा कि जिस जिले में प्राइवेट प्रैक्टिस होते मिली, वहां के सीएमओ व एडी को हटा दिया जाएगा। सभी
लखनऊ। प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों पर और लगाम कसते हुए अब जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) व मंडलों के अपर निदेशक (एडी) को जिम्मेदार बनाया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने कहा कि जिस जिले में प्राइवेट प्रैक्टिस होते मिली, वहां के सीएमओ व एडी को हटा दिया जाएगा।
सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की बैठक के बाद शनिवार को स्वास्थ्य मंत्री ने पुरुष व महिला जिला चिकित्सालयों के मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों की बैठक बुलाई थी। उन्होंने साफ कहा कि कोई सरकारी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस न करे, यह देखने की जिम्मेदारी सबसे पहले मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों की है। जिलों में सर्वाधिक मरीज जिला अस्पतालों में आते हैं, इसलिए प्राइवेट प्रैक्टिस की मार्केट भी वहीं से बनती है। ऐसे में जिस सीएमएस के अस्पताल का डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते पाया गया उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। सभी सीएमएस शपथ पत्र दें कि उनके अस्पताल का कोई डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करता है। पीएचसी व सीएचसी में तैनात डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर अंकुश लगाने के लिए इसी तरह का शपथ पत्र सीएमओ व एडी से लिया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्राइवेट प्रैक्टिस पर प्रभावी रोक के लिए नर्सिंग होम्स पर भी अंकुश लगाया जाएगा। नर्सिंग होम्स के दरवाजे सरकारी डॉक्टरों के लिए बंद करना सुनिश्चित किया जाएगा। ऐसा न करने वाले नर्सिंग होम सील होंगे और संचालकों के खिलाफ मुकदमा कराकर उन्हें जेल भेजा जाएगा। उन्होंने चिकित्सा अधीक्षकों से पूरे एक माह में देखे गए मरीजों, ऑपरेशनों आदि का ब्योरा मांगा। कहा कि अब यह बैठक हर माह होगी और इसमें सभी अधीक्षक पूरी तैयारी से आएं। मंत्री के मुताबिक किसी अस्पताल में दवाओं की कमी नहीं है। समय पर दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। फिर भी यदि मरीज परेशान होते हैं तो अधीक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बैठक में प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरविन्द कुमार व स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.विजय लक्ष्मी ने अधीक्षकों के साथ विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं पर विचार विमर्श किया। उनसे कहा गया कि अब सभी अस्पतालों में जांचों व इलाज की पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं, इसलिए मरीजों को परेशान न होना पड़े। जिन विशेषज्ञताओं के डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं, उनका ब्योरा भी मांगा गया।