गरीब न होते तो दादा ध्यानचंद को मिल जाता भारतरत्न
जिसे पूछो, वही चाहता है कि दादा ध्यानचंद को भारतरत्न मिलना चाहिए। मगर, समझ नहीं आता कि रोक कौन रहा है। मुझे तो ये लगता है कि दादा गरीब थे, इसलिए उन्हें भारत रत्न नहीं मिला। ये दर्द है हॉकी के जादूगर दादा ध्यानचंद के पुत्र पूर्व हॉकी टीम कप्तान
लखनऊ। जिसे पूछो, वही चाहता है कि दादा ध्यानचंद को भारतरत्न मिलना चाहिए। मगर, समझ नहीं आता कि रोक कौन रहा है। मुझे तो ये लगता है कि दादा गरीब थे, इसलिए उन्हें भारत रत्न नहीं मिला। ये दर्द है हॉकी के जादूगर दादा ध्यानचंद के पुत्र पूर्व हॉकी टीम कप्तान अशोक ध्यानचंद का। अशोक ध्यानचंद रविवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस आयोजन समिति द्वारा आगरा कॉलेज मैदान पर कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इसके बाद होटल मोती पैलेस में प्रेसवार्ता में बोले कि दादा ध्यानचंद के जन्मदिन पर खेल दिवस मनाया जाता है। उनके नाम से अवार्ड दिया जाता है। यह सब भाजपा शासनकाल में हुआ। मगर अफसोस है कि उन्हें भारतरत्न नहीं दिया गया। हॉकी की स्थिति पर उनका कहना था कि हर छोटे मैदानों की बजाए एकेडमी से खिलाड़ी निकल रहे हैं। हॉकी पहले कलात्मक थी, अब ताकत वाली हो गई है। हॉकी इंडियन लीग का लाभ कुछ ही खिलाडिय़ों को मिल रहा है। हॉकी के खिलाड़ी को 150 रुपये प्रतिदिन डाइट के मिलते हैं, तो वह क्या खेलेगा और कोई अपने बच्चे को इस खेल में क्यों भेजेगा।
योग पर कहा कि जिस तरह खेलों का कोई धर्म नहीं होता, वैसे ही योग का कोई धर्म नहीं है। योग को जानती तो पूरी दुनिया पहले से थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसके महत्व को नई दिशा दी है।