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मंदिर निर्माण पर हीलाहवाली ठीक नहीं: विनय कटियार

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की पहल करने में केंद्र सरकार के सामने कोई संवैधानिक अड़चन नहीं है। इस दिशा में मौजूदा केंद्र सरकार का मार्ग पूर्व की यूपीए सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल शपथ पत्र से प्रशस्त हो रहा है। इस शपथ पत्र में यूपीए सरकार

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2015 08:19 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2015 08:24 PM (IST)

लखनऊ। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की पहल करने में केंद्र सरकार के सामने कोई संवैधानिक अड़चन नहीं है। इस दिशा में मौजूदा केंद्र सरकार का मार्ग पूर्व की यूपीए सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल शपथ पत्र से प्रशस्त हो रहा है। इस शपथ पत्र में यूपीए सरकार ने कहा था कि यदि साबित हो जाय कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी ढांचे को तोड़कर हुआ था, तो वह हिंदुओं की मांग का समर्थन करते हुए मंदिर निर्माण में सहयोग करेगी। यह बात कही मंदिर आंदोलन के दिशावाहकों में रहे राज्यसभा के सदस्य एवं वरिष्ठ भाजपा नेता विनय कटियार ने। वह जागरण से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने याद दिलाया कि हाईकोर्ट के निर्णय से जब स्पष्ट हो गया है कि रामलला जिस भूमि पर विराजमान हैं, वहां पहले से मंदिर था और आर्कियालॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट से भी यह तथ्य प्रमाणित हो चुका है। ऐसे में सरकार के सामने मंदिर निर्माण की दिशा में सहयोग को लेकर कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने दोहराया कि मंदिर निर्माण की उपेक्षा ठीक नहीं है और इससे जन भावनाएं आहत होंगी। इससे पूर्व वे यह भी कह चुके हैं कि मंदिर निर्माण में विलंब से रामभक्तों का गुस्सा ज्वालामुखी की तरह फट सकता है। कटियार ने सुझाव भी दिया कि मंदिर निर्माण का कानून बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण बिल की तरह केंद्र सरकार लोकसभा में प्रस्ताव पेश करके इसे पारित कराने का प्रयास करे। उन्होंने केंद्र सरकार के कामकाज की प्रशंसा भी की तथा कहा कि सरकार सबका साथ, सबका विकास के एजेंडे पर काम कर रही है। कटियार ने जोड़ा कि राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार का प्रयास सबका साथ, सबका विकास की भावनाओं के ही अनुरूप ही सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में चंद्रशेखर व अटल विहारी वाजपेयी ने इस विवाद में बातचीत के जरिए समाधान की दिशा में ठोस पहल की थी, लेकिन समय कम होने के कारण दोनों नेताओं की इस दिशा में महती कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकीं।

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