भदोही में मिले ढाई हजार साल पुरानी सभ्यता के प्रमाण
काशी ङ्क्षहदू विश्वविद्यालय वाराणसी के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति व पुरातत्व विभाग की ओर से भदोही बाबूसराय क्षेत्र के द्वारिकापुर गांव स्थित टीले पर चल रही खोदाई में ढाई हजार वर्ष पूर्व के सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। साक्ष्य के रूप में जहां मृदभांड (मिट्टी के बर्तन) से लेकर हड्डियों
लखनऊ। काशी ङ्क्षहदू विश्वविद्यालय वाराणसी के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति व पुरातत्व विभाग की ओर से भदोही बाबूसराय क्षेत्र के द्वारिकापुर गांव स्थित टीले पर चल रही खोदाई में ढाई हजार वर्ष पूर्व के सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। साक्ष्य के रूप में जहां मृदभांड (मिट्टी के बर्तन) से लेकर हड्डियों से निर्मित औजार व मनके (माला) आदि मिले हैं वहीं कुम्हारों व कारीगरों के कार्यशाला के भग्नावशेष भी सामने आए हैं।
बीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति व पुरातत्व विभाग के डा.अशोक कुमार ङ्क्षसह के नेतृत्व में एमए फाइनल वर्ष के छात्र-छात्राओं के प्रैक्टिकल के रूप में टीले की खोदाई का काम चल रहा था। ताकि वह पुरातन संस्कृति व सभ्यता की खोज कर सकें। गुरुवार को समापन के मौके पर खोदाई के दौरान साक्ष्य के रूप में मिले मृदभांड, हड्डियों व मिट्टी के बर्तन बनाने व पकाने के कार्यशाला के भग्नावशेष के आधार पर डा. ङ्क्षसह ने बताया कि 25 सौ वर्ष पूर्व यहां कुम्हारों व कारीगरों के कार्यशाला थे। बताया कि छह चूल्हे व 17 भ_ियों के अवशेष मिले हैं। इतनी ही नहीं बर्तन पकाने के बाद बची आग से खाना पकाने के साक्ष्य भी सामने आए है। जो यह सिद्ध करते हैं कि करीब 25 सौ वर्ष पूर्व की संस्कृति काफी परिष्कृत थी।