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नई गाइडलाइनः अस्पताल पहुंचाने वाले से पुलिस नहीं करेगी पूछताछ

सड़क हादसे में घायल व्यक्ति अक्सर उपचार के अभाव में अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देता है। सड़क पर तड़पते घायल को लोग तमाशबीन बनकर देखते हैं सिर्फ इसलिए कि अगर उसे अस्पताल पहुंचाया तो पुलिस पूछताछ करेगी। कोर्ट, कचहरी के चक्कर लगाने पड़ेंगे। इस पचड़े से बचने

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2015 08:09 PM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2015 08:12 PM (IST)
नई गाइडलाइनः अस्पताल पहुंचाने वाले से पुलिस नहीं करेगी पूछताछ

लखनऊ। सड़क हादसे में घायल व्यक्ति अक्सर उपचार के अभाव में अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देता है। सड़क पर तड़पते घायल को लोग तमाशबीन बनकर देखते हैं सिर्फ इसलिए कि अगर उसे अस्पताल पहुंचाया तो पुलिस पूछताछ करेगी। कोर्ट, कचहरी के चक्कर लगाने पड़ेंगे। इस पचड़े से बचने के लिए लोग अक्सर ही घायलों को उनके हाल पर छोड़ कर आगे बढ़ जाते हैं।

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कृपया अब ऐसा न करें, सड़क पर घायल शख्स को तत्काल अस्पताल पहुंचाने का कष्ट करें क्योंकि पुलिस अब आपसे पूछताछ नहीं करेगी और न ही आपको बयान दर्ज कराना होगा। पुलिस आपसे जबरदस्ती कोई बयान नहीं लेगी, सब आपकी इच्छा पर निर्भर होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मई माह में केंद्र सरकार इस बाबत नई गाइडलाइन जारी करने जा रहा है। कोर्ट का भी मानना है कि पुलिस की पूछताछ और कानूनी पचड़े से बचने के लिए अक्सर लोग सड़क पर घायलों को छोड़कर अपनी गाड़ी आगे बढ़ा देते हैं। इस आदेश से संवेदनशील लोग बिना हिचकिचाहट के घायल को अस्पताल पहुंचाकर जिम्मेदार नागरिक होने का परिचय देंगे।

निर्भया कांड के बाद से ही चल रहा मंथन निर्भया कांड तो आपको याद होगा जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया। महिलाओं की सुरक्षा के लिए नए और कठोर कानून तक बनाने पड़े। गौरतलब है कि सोलह दिसंबर 2013 को दिल्ली में निर्भया कांड हुआ था। सामूहिक दुष्कर्म के बाद बदमाशों द्वारा बुरी तरह पीटे गए युवक और युवती सड़क पर जख्मी हाल में मदद की गुहार लगाते रहे। दर्जनों लोग जुटे लेकिन किसी ने उनकी मदद को हाथ आगे नहीं बढ़ाया था क्योंकि वे बाद में होने वाले कानूनी झमेले से दूर रहना चाहते थे। निर्भया कांड के बाद दिल्ली पुलिस ने खुद कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी कि हादसे में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाने वाले पूछताछ के बाबत इस तरह के नियम-कानून हटा देने चाहिए ताकि लोग बिना संकोच व भय के मदद के हाथ आगे बढ़ा सकें।

एंबुलेंस बड़ा सहारा

उत्तर प्रदेश में इस समय घायलों की मदद के लिए प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही समाजवादी एंबुलेंस 108 सेवा अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभा रही है और ग्रामीण अंचल के लोग भी खासे जागरूक हुए हैं। पुलिस के लिए भी एंबुलेंस सेवा एक नए मददगार के रूप में काम कर रही है। दरअसल, वाराणसी में सड़क हादसे बहुत होते हैं। हादसे की जानकारी होते ही घटनास्थल के आसपास मौजूद लोग 108 नंबर के साथ ही 100 नंबर डायल कर देते हैं। 108 और 100 नंबर की सूचनाओं को चाहकर भी स्वास्थ्य और पुलिस महकमा छिपा नहीं सकता क्योंकि दोनों नंबर पर दर्ज कराई गई सूचनाएं संबंधित फोन नंबर से जुड़ी डाटा मशीन में सुरक्षित हो जाती है।

अस्पताल पहुंचाने वाले की इच्छा का सम्मान

एसएसपी जोगेंद्र कुमार ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं में जख्मी लोगों को अस्पताल पहुंचाने वाले से हम फिलहाल प्रमुख जानकारी लेते हैं लेकिन यदि वह शख्स कोर्ट-कचहरी नहीं जाना चाहता तो हम उस पर दबाव नहीं डालते हैं। घायलों की मदद करना प्रत्येक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य है क्योंकि यह किसी की जिंदगी और मौत से जुड़ा सवाल है।


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