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यशोदा मइया को सता रही नंदलाला को ठंड लगने की चिंता

लखनऊ। 50 वर्षीय राजबाला रोजाना सोने से पहले अपने लल्ला को रजाई ओढ़ाना नहीं भूलतीं। ये लल्ला कोई अ

By Edited By: Published: Fri, 21 Nov 2014 08:17 PM (IST)Updated: Fri, 21 Nov 2014 08:17 PM (IST)
यशोदा मइया को सता रही नंदलाला को ठंड लगने की चिंता

लखनऊ। 50 वर्षीय राजबाला रोजाना सोने से पहले अपने लल्ला को रजाई ओढ़ाना नहीं भूलतीं। ये लल्ला कोई और नहीं, बल्कि ब्रज के कान्हा हैं, जिन्हें लड्डू गोपाल के रूप में घर-घर पूजा जाता है। राजबाला को चिंता है कि कहीं सर्दी में उसके लल्ला को ठंड न लग जाए। ब्रजवासी पूरे साल अपने कान्हा की देखभाल बच्चे की तरह करते हैं। मौसम के अनुसार उनकी सेवा भी बदल जाती है। सर्दी और गर्मी का विशेष ख्याल रखा जाता है।

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शीत ऋतु अपना असर दिखाने लगी है। वृंदावन में सुबह शाम की ठंड ने लोगों को गर्म कपड़े निकालने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे में ब्रजवासियों को भी अपने कान्हा की चिंता सताने लगी है। यही कारण है कि परिवार के अन्य सदस्यों की तरह कान्हा के गर्म कपड़े और रजाई फिर से बाहर निकल आए हैं। वनखंडी क्षेत्र निवासी सीमा कहती हैं कि 'रात नौ बज तेई लड्डू गोपाल कूं शयन करा देत हैं।' अब तो ठंड में चारों ओर ते रजाई भी दबा देत हैं ताकि बिने रात में शीत न सतावे।' श्रीधाम में सैकड़ों प्राचीन मंदिरों के अलावा घर-घर ठाकुरजी विराजते हैं। घरों में भी ठाकुरजी के आहार और पहनावे का विशेष ध्यान रखा जाता है। द्वारिकाधीश मंदिर में भी ठाकुरजी के लिए अंगीठी जलनी शुरू हो गई है। पर्दे लग गए हैं और ठाकुरजी की रजाई भी निकल आई है। मंदिर के मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी ने बताया कि ठाकुरजी को गर्म वस्त्र धारण करा दिए गए हैं।

लड्डू गोपाल का भोग

ब्रजवासी घर में बनने वाले हर भोजन का स्वाद ठाकुर जी को चखाना नहीं भूलते। फिर चाहे घर में दाल-रोटी बनी हो या पूड़ी सब्जी। भोजन की पहली थाली लड्डू गोपाल को अर्पित करने के बाद ही खाने को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। यह परंपरा सैकड़ों साल से चली आ रही है।

गर्म कपड़ों का बाजार

सर्दी की दस्तक के साथ ही यहां लोई बाजार, बिहारी बाजार, इस्कॉन टेंपल, अठखंभा बाजार में शनील, वेल्वेट और ऊन के बने गर्म कपड़ों का बाजार सज गया है। इसमें भगवान के लिए रजाई गद्दे से लेकर पोशाक तक सब शामिल है।


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