ट्रायल में सफलता के बाद अब सीएनजी से भी चलेंगी ट्रेनें
लखनऊ। अब रेल का सफर भी ईको फ्रेंडली हो गया है। रिसर्च, डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (अ
लखनऊ। अब रेल का सफर भी ईको फ्रेंडली हो गया है। रिसर्च, डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ), लखनऊ ने इंजनों के लिए ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे अब कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) से भी ट्रेनें चल सकेंगी। देश के पहले सेमी हाई स्पीड ट्रैक (नई दिल्ली-आगरा) पर ऐसी चार ट्रेनों का संचालन हो रहा है।
रेलवे के पास अभी तक बिजली और डीजल से संचालित इंजन हैं, लेकिन डीजल पर्यावरण के लिए सुरक्षित नहीं है। जिसे देखते हुए आरडीएसओ की टीम ने डीजल इंजन में बदलाव शुरू किए। इंजन को इस तरीके से तैयार किया गया कि उसे डीजल और सीएनजी मिलकर चलाया जा सके। शुरू में काफी मुश्किलें आई, लेकिन इंजीनियरों को सफलता मिली। कई सालों की मेहनत के बाद टीम ने चार डीजल मल्टिपल यूनिट (डीएमयू) ट्रेनों को इस काबिल बनाया। इंजन में 60 फीसद सीएनजी और 40 फीसद डीजल का इस्तेमाल किया गया।
आरडीएसओ के एग्जीक्यूटिव निदेशक एके माथुर ने बताया कि नई दिल्ली-आगरा रूट में पलवल तक चार डीएमयू का संचालन हर दिन किया जा रहा है। प्रत्येक इंजन में डीजल की मात्रा को धीरे-धीरे कम किया जा रहा है। इससे भविष्य में ट्रेन सिर्फ सीएनजी से ही चलेंगी। उन्होंने बताया कि सीएनजी से ट्रेनों की रफ्तार पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। उन्हें निर्धारित गति पर ही चलाया जा रहा है।
करोड़ों रुपये की बचत
आरडीएसओ के एग्जीक्यूटिव निदेशक का कहना है कि सीएनजी से ट्रेनें चलने से रेलवे को हर साल करोड़ों रुपये की बचत होगी, क्योंकि रेलवे डीजल का आयात करता है। जबकि सीएनजी उसे देश में ही मिल जाएगी।
शकूरबस्ती में मेंटिनेंस डिपो
नई दिल्ली स्थित शकूरबस्ती में चार डीएमयू का मेंटिनेंस डिपो बनाया गया है। जहां इंजनों में सीएनजी भरी जाती है और हर दिन इंजनों की जांच की जाती है। साथ ही इनके आंकड़ों का आरडीएसओ की टीम अध्ययन करती है।
दस और इंजनों पर कार्य
एके माथुर का कहना है कि मद्रास रूट के दस डीएमयू इंजनों को सीएनजी युक्त बनाया जा रहा है। इन इंजनों में बदलाव पर टीम काम कर रही है।
सीएनजी के फायदे
सीएनजी का आयात नहीं करना पड़ेगा। डीजल के मुकाबले कीमत कम है। पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।
डीजल से नुकसान
डीजल इंजन से निकलने वाला धुआं पर्यावरण को जबरदस्त नुकसान पहुंचाता है। डीजल खरीदने में करोड़ों डॉलर खर्च होते हैं। हर माह डीजल की कीमत में बदलाव होता है। डीजल महंगा होने पर रेलवे को अतिरिक्त कीमत अदा करनी पड़ती है।