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आज उत्तर प्रदेश में बिजली का भारी संकट

लखनऊ। सब कुछ ठीक रहा तो उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था अगले महीने से पटरी पर आ जाएगी। वर्तमान में

By Edited By: Published: Tue, 30 Sep 2014 10:06 AM (IST)Updated: Tue, 30 Sep 2014 10:06 AM (IST)

लखनऊ। सब कुछ ठीक रहा तो उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था अगले महीने से पटरी पर आ जाएगी। वर्तमान में बिजली की कमी होने से शेड्यूल के मुताबिक आपूर्ति नहीं हो पा रही है। आज तो मांग और आपूर्ति के बीच भारी अंतर होने के कारण बिजली अंधाधुंध कटौती का सामना करना पड़ सकता है।

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दरअसल, तीन अक्टूबर से ग्रामीण क्षेत्र में दस घंटे, शहरी क्षेत्र में 14 घंटे, जिला मुख्यालय पर 16 और मंडल मुख्यालय पर 18 घंटे बिजली आपूर्ति की तैयारी कर ली गई है। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कल मुरादाबाद में बताया कि तीन अक्टूबर तक केंद्र से बिजली मिलने लगेगी, फिर बिजली व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी।

आज बिजली संकट का खतरा

प्रदेशवासियों को आज अंधाधुंध बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है। गांव से लेकर उद्योगों तक तय शेड्यूल से बिजली नहीं मिल सकेगी। पावर कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक एपी मिश्र ने बताया कि दुर्गापूजा व रामलीला के साथ ही गांवों को सिंचाई के लिए बिजली देने के मद्देनजर मंगलवार के लिए एक्सचेंज से 34 एमयू बिजली चाही गई थी। एक्सचेंज की बिजली साढ़े आठ रुपये यूनिट तक पहुंच जाने से राज्य को मात्र चार एमयू ही बिजली मिली है। राज्य व केंद्रीय कोटे से बिजली की उपलब्धता कुछ बढ़ी है लेकिन एक्सचेंज से जरूरत के मुताबिक बिजली न मिलने से तय शेड्यूल के मुताबिक आपूर्ति करना संभव नहीं होगा। शाम सात बजे के बाद से उद्योगों की चार घंटे बिजली काटकर शहरों को आपूर्ति की जाएगी। आज गांवों औसतन चार घंटे से ज्यादा बिजली मिलने की उम्मीद नहीं है।

मांग-पूर्ति में 2000 मेगावाट अंतर

प्रदेश में बिजली की मांग और उपलब्धता में लगभग दो हजार मेगावाट का अंतर रहने से दिन में शहरों में भी अधाधुंध कटौती होती रहेगी। प्रबंध निदेशक ने बताया कि अनपरा की 500 मेगावाट की यूनिट से फिर उत्पादन शुरू हो जाने से पहली अक्टूबर के बाद से आपूर्ति में सुधार आएगा। अक्टूबर के पहले सप्ताह के अंत तक गर्मी में भी कमी आने से बिजली की मांग घटने की उम्मीद है जिससे आपूर्ति की स्थिति बेहतर होगी।

नहीं बढ़ानी पड़ेंगी बिजली दरें

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि यदि बिजली चोरी पर अंकुश लग जाए तो बिजली महंगी करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। परिषद ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर बिजली चोरी को लेकर गंभीरता न दिखाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि सालाना आठ हजार करोड़ रुपये की बिजली चोरी हो रही है। राज्यपाल राम नाईक द्वारा लाइन लॉस को कम करने से बिजली दर बढ़ाने की जरूरत न पड़ने की बात को सही ठहराते हुए परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि कार्पोरेशन प्रबंधन तो पिछले पांच वर्ष के लाइन लॉस का ब्यौरा ही विद्युत नियामक आयोग को नहीं सौंप रहा है। उन्होंने सोमवार को आयोग को पत्र सौंप कार्पोरेशन से लाइन लॉस की रिपोर्ट मंगाकर गंभीरता से विचार करने की मांग की है। कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा यह कहना ठीक नहीं है कि दूसरे राज्यों में बिजली की दरें ज्यादा हैं। कुछ राज्यों को छोड़ प्रदेश में ज्यादा बिजली की दरें हैं जबकि आपूर्ति की स्थिति बेहद खराब है।


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