उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था पर राज्यपाल की खरी-खरी
लखनऊ (राब्यू)। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक का मानना है कि बिजली संकट दूर किए बिना उत्तर प
लखनऊ (राब्यू)। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक का मानना है कि बिजली संकट दूर किए बिना उत्तर प्रदेश, उत्तम प्रदेश नहीं बन सकता है दूसरी ओर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी समझते हैं कि बिजली देने पर ही उनकी सरकार की छवि सुधरेगी। राज्यपाल ने जहां राज्य सरकार से लेकर विभागीय अधिकारियों-अभियंताओं तक को तमाम नसीहतें दीं, वहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी उन्हें आश्वस्त किया कि सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। हालांकि प्रदेश में कई राज्यों से कम बिजली दर बताकर मुख्यमंत्री ने बिजली दर बढ़ाए जाने के भी संकेत दिए।
राज्यपाल ने सोमवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के भवन का शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में बहुत सारी ऊर्जा (बिजली) की भी आवश्यकता होगी जिसके लिए सबको मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि हम सब सेवक और ग्राहक राजा है। चाहे घरेलू उपभोक्ता हो या अन्य, सभी को उनकी जरूरत के मुताबिक बिजली मिलनी चाहिए। कहा कि कई राज्यों में बिजली की मांग व आपूर्ति में अंतर है। इस अंतर को उत्पादन बढ़ाकर या फिर ट्रांसमिशन लॉस घटाकर कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि केरल में लॉस 11.61 फीसद, महाराष्ट्र में 16.27 फीसद है जबकि यूपी में 32.27 फीसद है। बिहार में तो और भी ज्यादा 48.79 फीसद है। राज्यपाल ने कहा कि बिजली चोरी रोकने की दिशा में काम हो तो बिजली के दाम भी कम हो सकते हैं। बिजली चोरी करने वालों को चौराहे पर खड़ा कर देना चाहिए। अमूमन इसमें बड़े लोग ही ज्यादा शामिल होते हैं। राज्यपाल ने राज्य का केंद्र सरकार और कर्मचारियों से संवाद बढ़ाने पर भी जोर दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में खुशहाली-तरक्की से बिजली की मांग बढ़ रही है। शादियों में साइकिल-मोटर साइकिल के बजाय एसी-हीटर दिए जा रहे हैं, इससे खपत बढ़ी है। अखिलेश यादव ने कहा कि बिजली के महत्व को वह समझते हैं इसलिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। पर्याप्त कोयला मिले तो राज्य में बिजली का बहुत उत्पादन हो सकता है। न्यूक्लियर इनर्जी के लिए भी केंद्र को पत्र लिखा है। सर्वाधिक को-जनरेशन यूपी में हो रहा है।
कटियाबाज फिल्म का जिक्र करते हुए अखिलेश ने कहा कि यदि फिल्म 25 फीसद भी ठीक है तो वह विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाती है। इसमें सुधार किया जाए। कई क्षेत्रों में यूपी को आगे बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें तो 30 हजार करोड़ के घाटे का विद्युत विभाग मिला था लेकिन अब पीपीपी से बड़े पैमाने पर ट्रांसमिशन व वितरण के क्षेत्र में कार्य हो रहे हैं।
आयोग के अध्यक्ष देश दीपक वर्मा ने कहा कि राज्य में मांग से 15 फीसद बिजली कम है। घर तो 3.92 करोड़ हैं लेकिन कनेक्शन 1.14 करोड़ ही हैं। यदि सभी को कनेक्शन के दायरे में ले आया जाए तो शायद बिजली की दर बढ़ाने के बजाने घटाने की नौबत आ जाए। कार्यक्रम में मंत्री राजेन्द्र चौधरी के साथ ही पावर कार्पोरेशन व आयोग के बड़ी संख्या में अधिकारी-अभियंता मौजूद रहे।
आयोग करे कार्यकलापों की समीक्षा
लखनऊ। शिलान्यास अवसर पर राज्यपाल राम नाईक ने विद्युत नियामक आयोग के 16 वर्ष के कार्यकलापों की समीक्षा किए जाने की अपेक्षा भी की। उन्होंने कहा कि 1998 में बनने के बाद से आयोग ने जो कुछ किया है उसकी किसी आंतरिक या विशेषज्ञों की कमेटी से जांच कराई जाए जिससे आयोग अपनी कमियां दूर करने के साथ ही बिजली उपभोक्ताओं को अधिक से अधिक राहत दे सके।
आशीर्वाद रहा तो 2017 तक रहेंगे
लखनऊ। विद्युत नियामक आयोग के भवन के दो वर्ष बाद 2016 में बनकर तैयार होने का जिक्र करते हुए अचानक राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से पूछ बैठे कि आपका विधानसभा का चुनाव कब होता है? राज्यपाल के सवाल पर हाल में जहां ठहाका गूंजा वहीं मंच पर बैठे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुस्कराते हुए कह दिया कि आपका आशीर्वाद रहा तो 2017 में होंगे। आयोग के अध्यक्ष देशदीपक वर्मा का कार्यकाल भी तब तक बने रहने पर राज्यपाल ने कहा कि फिर तो निमंत्रण मिलने पर तीनों ही भवन का उद्घाटन करने आएंगे।
दरअसल, राज्यपाल ने यह बात शिलान्यास में हुए विलंब के परिप्रेक्ष्य में कही थी। जिस भवन का 18.70 करोड़ रुपये से बनाने के लिए शिलान्यास किया गया, उसके लिए विभूति खंड में एक एकड़ जमीन 2010 से ही थी। राज्यपाल ने राजनीति में आने से पहले मैनेजमेंट कंसल्टेंट होने की बात बताते हुए कहा कि समय से काम पूरा हो ताकि कास्ट ओवररन और टाइम ओवररन न होने पाए।