अमेठी राजघराने की रार से गांवों में पुलिस का खौफ
लखनऊ। अमेठी के भूपति भवन के बाहर रविवार को खूनी संघर्ष और उसके बाद रामनगर व कटरा गा
लखनऊ। अमेठी के भूपति भवन के बाहर रविवार को खूनी संघर्ष और उसके बाद रामनगर व कटरा गांवों में पुलिस कार्रवाई से पलायन कर गए लोग खौफ के कारण घरों को लौटने के लिए तैयार नहीं हैं। कई घरों में अब भी ताले लटक रहे हैं। हां, कुछ घरों में जरूर थोड़ी चहल पहल रही। हालांकि शुक्रवार को भी संजय सिंह की पत्नी अमीता सिंह कई गांवों में गई और लोगों से मुलाकात की।
कटरा गांव में तो महज कुछ लोग ही लौटे हैं। ये लोग भी डर के कारण अनजान व्यक्ति को देखते ही घरों में दुबक जाते हैं। रामनगर बाजार में एक दो दुकानें खुली जरूर रहीं, लेकिन चहल पहल नहीं दिखी। अमीता सिंह ने कई गांवों में निकल कर लोगों से शांति की अपील की। उधर भूपति भवन के बाहर सुरक्षा कम कर दी गई है। महज दो उपनिरीक्षकों के साथ पुलिस कर्मी मौजूद थे। लेकिन पीएसी की टुकड़ी भी गश्त करती दिखी। कमिश्नर विशाल चौहान और डीआइजी नीलाब्जा चौधरी ने भी भूपति भवन के बाहर से हालातों का जायजा लिया।
अनंत ने बेटे को मामा के घर भेजा
शुक्रवार को संजय सिंह की पहली पच्ी गरिमा सिंह के भतीजे दिवाकर प्रताप सिंह व राजीव प्रताप सिंह को रजिस्टर में एंट्री करने के बाद ही भूपति भवन के अंदर जाने दिया गया। वे अपने साथ अनंत के परिवार के लिए सब्जियां व राशन भी लाए थे। उन्होंने वहां परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। बाहर आने पर उनके साथ अनंत विक्रम का पुत्र अधिराज भी था। बाद में उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने अंदर जाने दिया लेकिन भीतर कुछ लोगों ने विरोध किया। अनंत ने कहा कि अंदर की स्थितियों को देखते हुए दिवाकर प्रताप के साथ अधिराज को उसके मामा के यहां भेज दिया गया है।
संजय व अमीता जिम्मेदार : मंत्री
भूपति भवन के पास खूनी संघर्ष के लिए संजय सिंह व उनकी पत्नी अमीता सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने आज कहा कि परिवार की लड़ाई में अमेठी की जनता पिस रही है। ये लोग प्रशासन को गुमराह कर जनता का इस्तेमाल कर रहे हैं। मंत्री प्रजापति ने पत्रकारों से कहा कि रविवार को प्रदर्शन करने वाले संजय व अमीता के समर्थक थे। अनंत विक्रम को अभी अमेठी आए साल भर भी नहीं हुआ, ऐसे में उनके इतने समर्थक कहां से आ गए। उन्होंने कहा कि रविवार को फायरिंग करने वाले वही लोग थे जिन्होंने अनंत के आने पर फायरिंग की थी। अगर संजय सिंह को अनंत के रहने से आपत्ति थी तो उन्हें पहले ही प्रशासन को बताना चाहिए था। उन्होंने अनंत का सामान बाहर क्यों फेंक दिया।