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बिजली कटौती से मुक्त रहे उत्तर प्रदेश उद्योग

लखनऊ। उत्तर प्रदेश बिजली की माग में कमी से विद्युत आपूर्ति की स्थिति में सुधार आया है। इसके च

By Edited By: Published: Wed, 03 Sep 2014 10:20 AM (IST)Updated: Wed, 03 Sep 2014 10:20 AM (IST)

लखनऊ। उत्तर प्रदेश बिजली की माग में कमी से विद्युत आपूर्ति की स्थिति में सुधार आया है। इसके चलते उद्योगों को निर्बाध बिजली आपूर्ति हुई जबकि ग्रामीण क्षेत्रों को 10 घटे बिजली मिली। पावर कार्पोरेशन के लिए राहत की बात यह रही कि 110 मेगावाट क्षमता की टाडा संयंत्र की जो मशीन बंद थी, वह कल चालू हो गई है। पावर कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक एपी मिश्र के मुताबिक देर रात तक उससे बिजली मिलने लगी। वहीं 200 मेगावाट क्षमता की सिंगरौली की इकाई भी बुधवार सुबह तक चालू हो जाएगी जिससे उप्र को 83 प्रतिशत बिजली मिलती है। कल बिजली की कुल उपलब्धता 260 मिलियन यूनिट थी जबकि प्रतिबंधित माग 251 मिलियन यूनिट रही। कल 17 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी गई। इसकी वजह से ग्रामीण, तहसील, जिला व मंडल मुख्यालयों को तय शेड्यूल से ज्यादा बिजली दी जा सकी। उधर प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय अग्रवाल ने भी विद्युत आपूर्ति और उपलब्धता की समीक्षा की। उन्होंने विद्युत उत्पादन निगम के निदेशक मुरलीधर भाग चंदानी को अनपरा की बंद इकाई को हर हाल में 20 सितंबर तक चालू करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि 20 सितंबर को वह खुद अनपरा जाकर मौका मुआयना करेंगे।

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ज्यादातर जिलों में अघोषित कटौती

उत्तर प्रदेश में बिजली संकट बरकरार है। कटौती से आजिज ज्यादातर जिलों की जनता ने प्रदर्शन कर आपूर्ति सुधारने की चेतावनी दी। इस बीच कोयले की किल्लत के चलते बिजली का उत्पदन गिरता जा रहा है। इसके विपरीत कुछ जिलों में राहत महसूस की जा रही है। मेरठ मंडल, अलीगढ़ मंडल और मुरादाबाद मंडल समेत गाजियाबाद में बिजली आपूर्ति काफी हद तक सही रही। फैजाबाद शहरी क्षेत्र में 20 घटे आपूर्ति की गई। हालाकि गावों में महज तीन से चार घटे विद्युत आपूर्ति हो पा रही है।

केंद्र की सत्ता से काग्रेस की विदाई के बाद सोनिया गाधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली और राहुल गाधी के क्षेत्र अमेठी में मानो बुरे दिन आ गए हैं। रायबरेली शहरी क्षेत्र को नौ घटे तो ग्रामीण क्षेत्र को 16 घटे कटौती से जूझना पड़ा। अमेठी शहरी क्षेत्र की भी आपूर्ति 10-12 घटे रह गई है। अमेठी के गौरीगंज में हजारों की संख्या में ग्रामीण सड़क पर उतरे। रोस्टर के मुताबिक आपूर्ति की माग करते हुए उन्होंने गौरीगंज जामो रोड डेढ़ घटे तक जाम रखा। भाकियू कार्यकर्ताओं ने अंबेडकरनगर के अकबरपुर बिजली कार्यालय में तालाबंदी की तो विद्युत उपकेंद्र ऐनवा पर हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों ने धरना-प्रदर्शन कर विरोध जताया। देवरिया के भाटपारी कस्बे में ग्रामीणों ने एसडीओ और अवर अभियंता का घेराव किया। अघोषित कटौती बंद न होने पर सब स्टेशन में ताला जडऩे की चेतावनी दी। मऊ में दोहरीघाट चौक पर भाजपा द्वारा अनशन दूसरे दिन भी जारी रहा। जौनपुर के बदलापुर में किसान और वकील भी अब व्यापारियों के साथ आदोलन में कूद पड़े हैं। सहारनपुर में भी बिजली के लिए विरोध प्रदर्शन हुआ। अवध क्षेत्र का बुरा हाल है। सीतापुर, सुलतानपुर व बलरामपुर के शहरी क्षेत्र में आठ से 10 घटे ही बिजली मिल सकी जबकि ग्रामीण क्षेत्र में चार से छह घटे। सुलतानपुर के हनुमानगंज में ट्रासफार्मर फुंकने से एक हफ्ते से आधा दर्जन गावों में अंधेरा छाया है। लखीमपुर में पूरे दिन महज चार घटे बिजली मिली, वहीं गावों में दो घटे। बाराबंकी में सोमवार रात से कई बार आधे-आधे घटे पर बिजली कटी। यह सिलसिला मंगलवार को भी जारी रहा। अघोषित कटौती से पेयजल संकट से लोग जूझते रहे। फतेहपुर, फर्रुखाबाद, हरदोई, उन्नाव में शहरों में 8-9 घटे कटौती हुई तो ग्र्रामीण क्षेत्रों में 15 से 16 घटे। कानपुर में छह से आठ घटे तक कटौती हुई। औरैया, इटावा व कन्नौज में 5 से 6 घटे कटौती लोगों को झेलनी पड़ रही है। बुंदेलखंड के शहरी क्षेत्रों में आपूर्ति 11 से 12 घटे हो रही है। ग्रामीण इलाकों में बिजली मात्र पाच घटे मिल रही है। बिजली कटौती के खिलाफ कल बरेली बंद का व्यापक असर दिखा। प्रतापगढ़ में भई लोगों ने अपनी दुकानें नहीं खोलीं।

कोयले की किल्लत से गिरा उत्पादन

कोयला संकट में बंद शाहजहापुर की रोजा तापीय परियोजना की एक यूनिट में विद्युत उत्पादन शुरू होने के आसार अभी नहीं है। ऐसे में बिजली संकट गहरा सकता है। नए सिरे से कोल आवंटन की प्रक्त्रिया का भी विद्युत उत्पादन पर असर पडऩा लाजिमी है। वर्ष 2010 से प्रदेश को रोशन करने वाली रोजा तापीय परियोजना हरदोई मार्ग पर है। इसमें 300-300 मेगावाट उत्पादन की चार यूनिटें हैं, जिनसे रोजाना 1200 मेगावाट बिजली पैदा होती है। अगस्त के दूसरे सप्ताह में बिहार में आई बाढ़ के कारण कोयले की आपूर्ति बाधित हुई। जो कोयला आया वह भी गीला निकला। इससे उत्पादन प्रभावित हुआ। कंपनी ने इसी बीच 300 मेगावाट की एक यूनिट की ओवरहालिंग शुरू करा दी। इससे प्रदेश का एक चौथाई विद्युत उत्पादन गिर गया। विद्युत उपभोग की दृष्टि से अगस्त माह अहम माना जाता है। लेकिन कोयला संकट से उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। रोजा तापीय परियोजना को पिछले वर्ष के सापेक्ष 66 रैक कम कोयला मिला। यही हाल अन्य विद्युत उत्पादन इकाइयों का रहा। उधर केंद्र सरकार ने कोल आवंटन की नए सिरे से प्रक्त्रिया के संकेत दे दिए हैं। इससे कोयले की आपूर्ति कब होगी, कहा नहीं जा सकता।


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