मौलाना तौकीर का सफर हाथ से हाथी के साथी तक
लखनऊ। कांग्रेस के जरिए दलीय राजनीति में उतरे मौलाना तौकीर के बढ़ते कदम अब बहुजन समाज पार्टी (बस
लखनऊ। कांग्रेस के जरिए दलीय राजनीति में उतरे मौलाना तौकीर के बढ़ते कदम अब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में हाथी के साथी बन गए हैं। मौलाना तौकीर रजा खां की अगुवाई वाली ऑल इंडिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल बसपा उम्मीदवारों को बिना शर्त समर्थन देगी।
मौलाना ने 7 अक्टूबर 2001 को आल इंडिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल का गठन किया। इसके बाद 2005 में स्थानीय निकाय के रूप में पहला चुनाव लड़ा। 2005 में चुनाव आयोग में पंजीकरण कराया। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन दिया और जल्द ही नाता तोड़ लिया। 2012 विधानसभा चुनाव में इस्लाम साबिर से हाथ मिलाया और अब दुश्मनी का राह पर चल पड़े हैं।
2014 में लोकसभा चुनाव से पहले सपा से जुड़े, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग के सलाहकार बने। जब पटी नहीं तो मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। अब बसपा को समर्थन का एलान किया है।
मौलाना बरेली में बसपा उम्मीदवार उमेश गौतम का समर्थन करेंगे। वह उन सीटों पर बसपा उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेंगे, जहां जीत की संभावना कम है।
बरेली में मौलाना ने बताया कि सर्वे में बसपा को इस काबिल आंका गया कि वही सांप्रदायिक ताकतों को सूबे में रोक सकती है। कांग्रेस समर्पण कर चुकी और सपा चुनावी दौड़ में पीछे रह गई है। ऐसे में बसपा ही मुख्य मुकाबले में है, लिहाजा बसपा उम्मीदवारों को बगैर शर्त समर्थन दिया जाएगा। उनके मुताबिक बसपा ही वह पार्टी है, जिसका आरएसएस से गुप्त समझौता नहीं है। कांग्रेस को देख चुके, सपा को भी आजमा लिया। एक सवाल के जवाब में कहा कि बरेली से उमेश गौतम निश्चित चुनाव जीतेंगे। किसी दूसरे उम्मीदवार को समर्थन देने की नौबत नहीं आएगी। आचार्य प्रमोद कृष्णम के कांग्रेस में चले जाने पर कहा कि उनके खिलाफ संभल जाकर बसपा उम्मीदवार को लड़ाएंगे।