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न कछु इच्छा न कछु चाह, हर हालत में वाही वाह

लखनऊ। चित्रकूट में राष्ट्रीय रामायण मेले के तीसरे दिन एकात्मता की झलक तक देखने को मिली। जब म

By Edited By: Published: Mon, 03 Mar 2014 02:53 PM (IST)Updated: Mon, 03 Mar 2014 03:44 PM (IST)
न कछु इच्छा न कछु चाह, हर हालत में वाही वाह

लखनऊ। चित्रकूट में राष्ट्रीय रामायण मेले के तीसरे दिन एकात्मता की झलक तक देखने को मिली। जब मुस्लिम विद्वान सैयद मुर्शरत परवेज ने तमाम प्रमाणों के जरिए सिद्ध किया कि हम सबका मूल धर्म सनातन धर्म है। सभी ग्रंथ अल्लाह और ईश्वर के ग्रंथ हैं।

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41 वें रामायण मेला के तीसरे दिन सैयद परवेज ने कहा कि माता पिता के साथ जब संतान रहती है तो सुखी रहती है। राम का नाम जब जपेंगे तो मन को शाति मिलेगी। झगड़ा धर्म के नाम पर होता है। राम तो एक ही हैं वही तो हैं ईश्वर अल्लाह। जो बात कुरान में मिली वही वेदों में मिली। जिस देश में रहते हो उसका वफादार रहना। देश से द्रोह मत करना। जिस देश में रहते हो उस देश का नाम है हिन्दुस्तान। मुझे इस नाम से अत्याधिक प्रेम हो गया है। डा. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ने कहा कि महाकवि चंद्रदास कृत राम विनोद महाकाव्य की प्राचीन प्रति है। इस रामायण की विशेषता है कि वैष्णव, शैव दर्शन के समन्वय के साथ सिक्खों के अकाल दर्शन का भी समन्वय किया गया है।

मेरठ के डा. सुधाकराचार्य ने कहा कि राम-सीता और लक्ष्मण यह तीनों संसार के लिए हैं जो शक्ति को स्त्रोत देते हैं। सीता जहा एक ओर कृषि का प्रतिनिधित्व करती हैं, वहीं अपनी जन्म की घटना से भू-गर्भ का भी प्रतिनिधित्व करती हैं। राम जहा एक ओर बादलों का प्रतिनिधित्व करते हैं, वहीं कृषि की रक्षा सुरक्षा का उत्तरदायित्व वहन करते हैं। लक्ष्मण के बारे में उन्होंने बताया कि वह एक ओर फसल का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रथम सत्र का संचालन करते हुए इलाहाबाद के सीताराम सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सौहार्द, समता और अपनापन ही इस रामायण मेला का उद्देश्य है।

द्वितीय सत्र की व्याख्यान माला में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के पूर्व निदेशक केसी मिश्र ने कहा कि चित्रकूट की अरण्य भूमि में डा. लोहिया के रामायण मेला का सपना जो लोग पूरा कर रहे हैं। उसके लिए साधुवाद है। डा. लोहिया का सपना था कि रामायण मेले द्वारा राष्ट्रीय एकता, राष्ट्रभाषा हिन्दी परिपुष्ट हो। वे चाहते थे कि रामायण मेले के द्वारा देश को संस्कारित किया जाय। लोहिया के संकल्प को जन-जन तक पहुंचाया जाना चाहिए। यदि रामायण मेला डा. लोहिया के आनंद, एकता, रससंचार, दृष्टिबोध और बढ़ावा देने का प्रयास करता है। तभी इसकी सार्थकता होगी। डा. राधा सिंह 'बिहार' ने कहा कि रामचरित मानस मानवीय आचरण एवं मर्यादाओं का आदर्श ग्रंथ है। राम के आदर्श चरित्र ने मानस को मानवीय मूल्यों का पवित्र ग्रंथ बना दिया है। आज के भौतिकवादी युग में रामचरित्र अधिक आवश्यक और महत्वपूर्ण हो गया है। जहा सत्ता के लिए राज्य परिवारों में संघर्ष मिलता है। वहीं राम माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हैं और राज्य छोड देते हैं। डा. ओमप्रकाश शर्मा फरीदाबाद ने कहा कि जीव कोटि में आकर हम इच्छायें करते रहते हैं और तृप्त नही होते। हमारे राम ही सबकुछ हैं। यह भाव हमारे हृदय में आ जाए तो हम यह कह करके खिलखिला उठेंगे। ''न कछु इच्छा न कछु चाह, हर हालत में वाही वाह''।

लोक कलाकारों ने छोड़ी छाप

सायंकालीन सास्कृतिक कार्यक्रम में रघुवीर सिंह यादव और साथी कलाकारों के अतिरिक्त महोबा से पधारे हुए लोकनृत्य समिति के लखनलाल यादव ने भजनों और लोकगीतों के माध्यम से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कुमारी नीतू तिवारी, नीलम तिवारी, शिवानी तिवारी व ललित त्रिपाठी ने संास्कृतिक प्रस्तुतियों द्वारा सभी को भाव विभोर कर दिया है। इस सत्र का संचालन करुणा शकर द्विवेदी ने किया।


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