राज्य सुरक्षा आयोग का पुनर्गठन
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : राज्य में दक्ष, प्रभावी एवं उत्तरदायी पुलिस बल विकसित करने के लिए शासन ने राज्य सुरक्षा आयोग का पुनर्गठन किया है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित आयोग को पुलिसबल में मार्गदर्शक सिद्धांत तय करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। पुलिस बल के निरोधात्मक कार्यो, सेवामुक्त कार्यो के प्रदर्शन हेतु सुझाव देने तथा प्रदेश में पुलिस बल के प्रदर्शन की नीतिगत समीक्षा का भी दायित्व इस आयोग के पास होगा। राज्यपाल ने राज्य सुरक्षा आयोग का गठन किये जाने की स्वीकृति प्रदान की है।
शुक्रवार को प्रमुख सचिव गृह आरएम श्रीवास्तव ने यह जानकारी दी। श्रीवास्तव ने बताया कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित इस आयोग के सदस्य मुख्यमंत्री द्वारा नामित कैबिनेट स्तर के मंत्री एवं नेता विरोधी दल होंगे। इनके अलावा मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह और प्रमुख सचिव न्याय इस आयोग के पदेन सदस्य होंगे। साथ ही राज्य सरकार द्वारा प्रमाणित दक्षता एवं शुचिता के नामित दो स्वतंत्र व्यक्ति भी इस आयोग के सदस्य होंगे। पुलिस महानिदेशक को इस आयोग का सदस्य सचिव बनाया गया है। गैर सरकारी सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान में राज्य सुरक्षा आयोग के स्वरूप के विघटित होने के कारण उसके पुनर्गठन की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए राज्यपाल द्वारा राज्य सुरक्षा आयोग का गठन किये जाने की स्वीकृति प्रदान की गयी है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आयोग के गठन का निर्देश : पुलिस महकमे में सुधार और उसे सरकार के दबाव से मुक्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर 2006 को राज्य सुरक्षा आयोग के गठन का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के करीब दो साल बाद यूपी में वर्ष 2008 में राज्य सुरक्षा आयोग के गठन की अधिसूचना जारी हुई। राज्य सुरक्षा आयोग का गठन दो दिसंबर 2010 को किया गया। इसके बाद आयोग का पुनर्गठन 17 फरवरी 2011 को हुआ। पिछली बार आयोग में पदेन सदस्यों के अलावा सेवानिवृत्त एडीजी डॉ. रामलाल राम और सांसद सतीश मिश्र को सदस्य बनाया गया था।
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