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अवैध खनन व कटान रोकने के लिये 4 टीमें गठित

ललितपुर ब्यूरो : जनपद में अवैध खनन व वृक्षों के अवैध कटान पर सख्ती से रोक लगाने के लिए प्रभागीय निदे

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Apr 2017 01:23 AM (IST)Updated: Sun, 23 Apr 2017 01:23 AM (IST)
अवैध खनन व कटान रोकने के लिये 4 टीमें गठित
अवैध खनन व कटान रोकने के लिये 4 टीमें गठित

ललितपुर ब्यूरो : जनपद में अवैध खनन व वृक्षों के अवैध कटान पर सख्ती से रोक लगाने के लिए प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी (डीएफओ) वीके जैन के निर्देश पर चार टीमें गठित की गयी हैं। इन टीमों का प्रभारी क्षेत्रीय वनाधिकारियों को बनाया गया है। प्रत्येक टीम में 4-4 सदस्य रखे गये हैं। इन कार्य क्षेत्र भी बाँटा गया है। प्रत्येक टीम प्रतिदिन शाम 6 बजे कण्ट्रोल रूम को कार्यवाही से अवगत करायेगी।

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वन क्षेत्र में अवैध खनन व कटान पर रोक लगाना वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। सक्रिय माफिया चोरी-चोरी चुपके-चुपके इस कारोबार को अंजाम दे रहे है। अपने गुर्गो की मदद से चोरी छिपे हरे भरे पेड़ काट दिये जाते है। बाद में इन्हे एक गुप्त स्थान पर संग्रह किया जाता है। मौका मिलते ही वन विभाग के कर्मियों की आँखों में धूल झोंककर इस लकड़ी को जनपद से बाहर भेज दिया जाता है। गत दिवस वन विभाग की छापामार टीम ने बाँसी क्षेत्र के ग्राम कल्यानपुरा में लगभग 25 टन अवैध आम की लकड़ी से लदा ट्राला पकड़ा था। यह लकड़ी जयपुर जा रही थी। इस ट्राला को छुड़वाने के लिए भी सिफारिशें भी खूब की गयी, लेकिन अफसरों के आगे उनकी एक नहीं चली। यह इस बात का प्रमाण है कि जनपद में बड़े कटान माफिया सक्रिय है, जो ऊँचे रसूख के बलबूते पकड़े जाने पर छूटने का भी प्रयास करते है। यही हाल, अवैध खनन का भी है। चोरी छिपे वन भूमि में खनन कर रहे लोगों का भी अपना अलग ही अंदाज है। चोरी छिपे खनन के पत्थर को चारपहिया वाहनों में लादकर बाहर भेजा जाता है। लम्बे समय से हो रहे इस खेल पर वन विभाग व खनन विभाग ने संयुक्त रूप से कार्यवाही कर अंकुश लगाने का प्रयास किया, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद इस पर रोक नहीं लग पा रही है। अब सूबे में हुए सत्ता परिवर्तन व मुखिया बदलने के साथ ही इन अवैध कार्याे पर सख्ती से रोक लगाने की कवायद की जा रही है। इसी क्रम में डीएफओ वीके जैन के निर्देश पर जनपद में चार छापामार टीमें गठित की गयी है। पहली टीम का प्रभारी क्षेत्रीय वनाधिकारी गौना रेज जयनारायण को बनाया गया है। जो अपने क्षेत्र के ग्राम दूधई, बालाबेहट में फैले विशाल वन क्षेत्र का निरीक्षण कर अवैध कार्याें पर सख्ती से अंकुश लगायेंगे। इस टीम में वन दरोगा तेज प्रकाश सिंह, नवल सिंह, वनरक्षक यादवेन्द्र सिंह, विवेक विक्रम सिंह को शामिल किया गया है। दूसरी टीम का प्रभारी क्षेत्रीय वनाधिकारी ललितपुर रेज गणेश प्रसाद शुक्ला को बनाया गया है। इस टीम में डिप्टी रेजर प्रागीलाल, वन दरोगा अनूप कुमार श्रीवास्तव, वन रक्षक हृदेशचन्द्र श्रीवास्तव, रामकुमार श्रीवास्तव को रखा गया है। यह टीम जाखलौन, दूधई, धौर्रा, बंट एवं हरदारी वन क्षेत्रों का भ्रमण कर कार्यवाही करेगी। इसी प्रकार क्षेत्रीय वनाधिकारी मड़ावरा रेज आरएस यादव को तीसरी टीम का प्रभारी बनाया गया है। इस टीम में वन दरोगा संदीप रविकुल, श्यामलाल सविता, वन रक्षक गणेश राम व संतोष कुमार रजक को रखा गया है। यह टीम सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले मड़ावरा, मदनपुर, धौरीसागर, लखंजर, पापड़ा आदि वन क्षेत्रों में छापामार कार्यवाही करेगी। इसी प्रकार क्षेत्रीय वनाधिकारी तालबेहट रेज फूल सिंह यादव के नेतृत्व में बनायी गयी टीम उगरपुर, कंधारीकलाँ, सुनौनी, जमालपुर आदि वन क्षेत्रों पर अपनी पैनी निगाह रखेगी। टीम में वन दरोगा नरेश कुमार बिदुआ, वसीम खान, वन रक्षक जयराम पटेल, संदीप कुमार, काशीराम रोहित शामिल हैं। इन सभी टीमों को विशेष दिशा निर्देश जारी किये गये है। इन टीमों के साथ सशस्त्र पुलिस बल भी साथ रहेगा, ताकि आवश्यकता पड़ने पर खनन व कटान माफिया को काबू में करने के लिए उन्हे मुँह तोड़ जवाब दिया जा सके। उक्त सभी टीमें प्रतिदिन शाम 6 बजे तक वन विभाग के कण्ट्रोल रूम के फोन नम्बर 05176-273245 को सूचना देंगे। लापरवाह कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की बात भी कही गयी है।

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चिन्हित स्थानों पर रहेगी पैनी निगाह

ऐसे क्षेत्र व वन मार्ग जहाँ से अवैध खनन व कटान से लदे वाहन गुजरते है, वहाँ छापामार टीमों की सतर्क निगाह रहेगी। इसके लिए मुखबिरों की मदद भी ली जा रही है, ताकि इस अवैध कारोबार का सख्ती से दमन किया जा सके।

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रात में सक्रिय रहते है माफिया

सूत्रों की मानें तो अवैध खनन व कटान का कारोबार सूर्यास्त के बाद होता है। जैसे-जैसे रात गहराती जाती है, वैसे-वैसे तस्करी का खेल भी अपना असली रग दिखाता जाता है।

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सब कुछ 'क्लियर' होते ही गुजरते है वाहन

ऐसे वाहनों के आगे एक बाइक चलती है, जो उस मार्ग पर खतरे को भाँपती है। कोई खतरा न होने की दशा में वाहन चालक को ग्रीन सिगनल दे दिया जाता है। इसके बाद ही उक्त वाहन गन्तव्य की ओर रवाना होते है।


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