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नोटबन्दी : मण्डी में कारोबार ठप, करोड़ों का नुकसान

ललितपुर ब्यूरो : 500 और 1000 रुपए के नोट बंद होने के बाद नई करेन्सी न मिलने से परेशान गल्ला मण्डी मे

By Edited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 01:19 AM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 01:19 AM (IST)

ललितपुर ब्यूरो : 500 और 1000 रुपए के नोट बंद होने के बाद नई करेन्सी न मिलने से परेशान गल्ला मण्डी में कारोबारी पूरी तरह से ठप हो गया है। व्यापारी नोटबंदी के अगले दिन से लगातार मण्डी बन्द किए हुए है। उनका कहना है कि बैंक द्वारा उन्हे इतना पैसा नहीं दिया जा रहा, जितना कि उन्हे जरूरत है। एक सप्ताह में मात्र 50 हजार रुपए की लिमिट की गयी है, वह भी नहीं मिल रहा। जिसके चलते वह किसानों को दूर की बात, अपने यहाँ लेबर तक को पैसा नहीं दे पा रहे है। ऐसे में मण्डी में दुकान खोलकर वह क्या करे। यही नहीं मण्डी में कारोबार बन्द होने से प्रतिदिन 4 करोड़ रुपए का कारोबार भी यहाँ ठप बना हुआ है। सरकार को भी मण्डी बन्द होने से लाखों रुपए राजस्व का घाटा हो रहा है।

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प्रदेश की बढ़ी मण्डियों में शुमार ललितपुर की नवीन गल्ला मण्डी में व्यापारी तथा काश्तकारों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 500 तथा 1000 का नोट बंद होने से पूर्व ललितपुर मण्डी में सीजन के दौरान प्रतिदिन दलहन जिंस उड़द सहित सोयाबीन, मूंग आदि जिंसों की आवक होने से रोजाना लगभग 4 करोड़ का कारोबार हो रहा था। अचानक हुई नोटबंदी के चलते 9 तारीख से लेकर आज तक मंडी वीरान पड़ी है, जिससे यहाँ अनुमानित एक अरब से अधिक का कारोबार ठप हुआ है। साथ ही मण्डी का ई-ऑक्शन सहित कैण्टीन, चाय, पकौड़ी के ठेले, आपे-टैक्सि चालक सब ठप है। यही हालात इण्डस्ट्रियल एरिया का है। जहाँ कृषि कार्य से सम्बन्धित मशीनें बन्द पड़ी है तथा यहाँ भी करोड़ों का कारोबार ठप हुआ है। मण्डी में अनुमानित एक अरब का कारोबार ठप होने से मण्डी समिति को टैक्स के रूप में अर्जित होने वाली लाखों की आय की चपत लगी है।

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कम्पाइल

पल्लेदारों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट

मण्डी में ढेरी बोली का कारोबार बन्द होने जाने से यहाँ कार्य करने वाले पल्लेदार खाली बैठे है, जिनके सामने रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है। स्थानीय पल्लेदार तो अपने घरों में पहुचकर कृषि इत्यादि के कार्य में जुट गए है, या फिर मजदूरी करने में लग गए है। लेकिन यहाँ काम करने वाले कुछ पल्लेदार स्थिति सामान्य होकर ढेरी बोली शुरू होने की आस में मण्डी में ही बैठे रहते है। पेश है गल्ला मण्डी के पल्लेदारों की कहानी, उन्हीं की जुबानी..

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रामचरन।

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उधार लेकर चला रहे काम

काम की आस लगाकर मण्डी में प्रतिदिन पहुच रहे है, लेकिन यहाँ मण्डी बन्द होने से आशा पर पानी फिर जा रहा है। काम नहीं मिलने से उनके परिवार का भरण पोषण नहीं हो रहा है। व्यापारियों द्वारा उधार पैसा लिया गया है, उससे काम चल रहा है। वह समाप्त हो जाएगा तो भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।

- रामचरन, पल्लेदार

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मोहन।

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मण्डी बन्द होने पर कर रहे मजदूरी

नोटबंदी के चलते मण्डी में व्यापारियों व किसानों के साथ वह भी परेशान है। मण्डी में अनाज न आने से उन्हे पल्लेदारी नहीं मिल रही है। उनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। पहले की अपेक्षा मण्डी में काम न मिलने से अब दूसरे स्थान पर मजदूरी कर रहे है। आखिर करे भी तो करे क्या, आखिर पेट का सवाल है। यदि कुछ करेगे नहीं तो परिवार का पेट कैसे पालेंगे।

- मोहन, पल्लेदार।

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धर्मवीर।

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राशन सामग्री के भरोसे जिन्दगानी

गल्ला मण्डी में नोटबंदी न उनके जीवन स्तर का पूरी तरह से बदल दिया है। पहले यहाँ पल्लेदारी मिल जाने से अच्छा खासा पैसा मिल जा रहा था। लेकिन नोटबंदी के बाद उन्हे यहाँ पैसा नहीं मिल पा रहा है। रोजाना काम की आस लेकर पहुच रहे है, लेकिन उल्टे यहाँ आकर खर्चा हो जा रहा है। कमाई-धमाई कुछ नहीं हो रही है। पैसे नहीं कमाने के चलते परिवार का राशन भी नहीं खरीद पा रहे है। राशन सामग्री से परिवार चल रहा है।

- धर्मवीर, पल्लेदार।

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बहादुर।

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पल्लेदारी छोड़, मजदूरी अपनायी

मण्डी में व्यापारियों द्वारा कारोबार बन्द करने से किसान यहाँ माल लेकर नहीं आ रहे है। ऐसे में उन्हे भी पल्लेदारी नहीं मिल रही है। पिछले 25 दिनों से वह तंगहाली का जीवन जी रहे है। परेशान होकर अब मण्डी से पल्लेदारी का कारोबार छोड़ दूसरे के यहाँ मजदूरी कर रहे है। अब चूंकि परिवार का पालना है, ऐसे में कुछ तो करना ही होगा।

- बहादुर, पल्लेदार।

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कम्पाइल..

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नहीं बनी सहमति, नहीं खुलेगी मण्डी

- व्यापारियों व मण्डी प्रशासन की बैठक बेनतीजा

ललितपुर :

नवीन गल्ला मण्डी में व्यापारियों की खरीद-बिक्री को लेकर चला आ रहा पुराना सिस्टम नोटबंदी के चलते अब प्रभावित हो गया है। जिसके चलते यहाँ कारोबारी परेशान है। बैंकों द्वारा जहाँ उन्हे पर्याप्त पैसा नहीं दिया जा रहा है तो वहीं खरीद व बिक्री में अब पेचीदगी सामने आ रही है। जिसके चलते व्यापारियों ने काम ठप कर दिया है। कच्चे व पक्के आढ़तियों ने अपनी-अपनी शर्ताें को लेकर मण्डी में काम करना बन्द कर दिया है। दोनों ही अपनी-अपनी शर्ताें पर अड़े हुए है। जिसके चलते मण्डी पिछले एक माह से बन्द पड़ी हुयी है। ऐसे में न केवल यहाँ किसान फसल बेचने के लिए परेशान है, तो वहीं मण्डी को भी खासे राजस्व की क्षति पहुच रही है। बुधवार को मण्डी सचिव ने सुलह के लिए बैठक बुलाई, लेकिन यह बैठक बेनतीजा साबित हुयी। जिसके चलते मण्डी अभी भी बन्द रहने की बात बतायी गयी।

गल्ला मण्डी का पूरा कारोबार कच्चे और पक्के आढ़तियों के माध्यम से चलता है। यहाँ करीब 450 व्यापारियों में 350 के ऊपर कच्चे और शेष पक्के आढ़तिया है। कच्चे आढ़तियाँ किसानों का माल खरीदकर पक्के आढ़तियों को बोली के माध्यम से माल बेचते है। जिसके बदले उन्हे सवा प्रतिशत कमीशन प्राप्त होता है। यह कारोबार मण्डी में शुरू से ही चला आ रहा है। अब नोटबंदी व टैक्स के नए-नए नियम के बाद यह प्रभावित हो गया है। पक्के आढ़तियों ने अब पुरानी पद्धति को बदलते हुए पक्का टेक्स पेड बिल के साथ खरीद का कमीशन एक प्रतिशत किए जाने की माँग उठाई है। जिसे स्वीकार करने हेतु कच्चे आढ़तियों ने असहमति जताई है। इसके निष्कर्ष के लिए बुधवार को मण्डी कार्यालय पर कच्चे और पक्के आढ़तियों की एक बैठक मण्डी प्रशासन द्वारा बुलाई गई। दोनों ने अपना-अपना पक्ष रखा, कोई भी किसी भी बात को स्वीकारने राजी नहीं दिखा। बाद में निष्कर्ष आया कि पक्के आढ़तियाँ सीधे किसान से जिन्स की खरीद करना चाहते है तो वह तैयार है। लेकिन पहले कच्चे आढ़तियों का पूर्व का भुगतान कर दिया जाए। वह खरीद की तारीख का बिल मंजूर करेगे। लेकिन कमीशन वह सवा प्रतिशत ही लेंगे। लेकिन बात फिर लटक गयी। जिसके चलते बुधवार की बैठक बेनतीजा रही। कोई भी निष्कर्ष नहीं निकला। मण्डी जहाँ के तहाँ बन्द रहेगी।

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कम्पाइल..

गल्ला मण्डी बन्द होने से किसान परेशान

- भारतीय किसान यूनियन ने डीएम को सौंपा ज्ञापन

ललितपुर : कच्चे और पक्के आढ़तियों की जिद के चलते मण्डी में कारोबार ठप बना हुआ है। कोई भी काम करने को राजी नहीं हो पा रहा है। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। वह अपनी फसल नहीं बेच पा रहे है। इसको देखते हुए भारतीय किसान यूनियन ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए मण्डी को अविलम्ब खुलवाए जाने की माँग उठाई है।

जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में जिलाध्यक्ष लाखन सिंह पटेल ने बताया कि जनपद की सभी गल्ला मण्डी पिछले एक माह से बन्द पड़ी हुयी है, जिससे किसानों के उत्पादन की बिक्री नहीं हो पा रही है। जिस वह से सिकानों के सामने अपनी खेती-बाड़ी के साथ ही साथ परिवार के भरण पोषण का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में वह अपने यहाँ शादी-विवाह के आयोजन के साथ परिजनों का इलाज नहीं करा पा रहे है। उन्हे भारी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। उन्होंने गल्ला मण्डी को जल्द सुचारू किए जाने की माँग उठाई। उन्होंने यहाँ तक कहा कि किसानों को भुगतान चेक के माध्यम से दे दिया जाए, वह इसे स्वीकारने को राजी है।


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