सट्टा के दलदल में फँस कर युवा हो रहे तबाह
महरौनी (ललितपुर): सट्टा जैसी सामाजिक बुराई क्षेत्र में तीव्र गति से पैर पसार रही है, जिससे कस्बा के
महरौनी (ललितपुर): सट्टा जैसी सामाजिक बुराई क्षेत्र में तीव्र गति से पैर पसार रही है, जिससे कस्बा के सैकड़ों परिवार इसकी गिरफ्त में आकर तबाह हो रहे हैं। इस सामाजिक बुराई के खिलाफ 'दैनिक जागरण' लगातार मुहिम चला रहा है, ताकि कस्बा सहित क्षेत्र के युवा इस बुराई से मुक्त हो सके। लेकिन प्रशासन के ढुलमुल रवैया के चलते इस सामाजिक बुराई पर ठीक से लगाम नहीं कस पा रही है। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र में धड़ल्ले से सट्टा का कारोबार संचालित किया जा रहा है। सट्टा एजेंट नगर में चारो तरफ अपनी पकड़ बनाये हुये हैं और भोले भाले युवकों को कम समय में धनवान बनाने का लालच देकर इस सामाजिक बुराई के दलदल में धकेल रहे है, जिससे सैकड़ों परिवार बर्बादी की कगार पर पहुंच गये है। इसके बावजूद भी स्थानीय पुलिस तमाशबीन बनकर यह सब देख रही हैं, जिससे जनता के बीच पुलिस की भूमिका पर कई प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं।
::
यह है सट्टा का खेल
लालच में आकर लोग इस सामाजिक बुराई में फंस कर बर्बाद हो जाते हैं। सट्टा का यह कारोबार ऑनलाइन हो चुका हैं और दिन के निर्धारित समय पर सभी सट्टा अंकों को ऑनलाइन बेवसाइट पर खोला जाता हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कस्बा सहित ग्रामीण क्षेत्र सें प्रतिदिन 1 लाख रुपये की धनराशि सट्टा नंबरों पर बुक होती है। जिसका कलेक्शन कई सट्टा एजेंट करते हैं। बुकिंग के बाद इस धनराशि को मध्य प्रदेश के चंदेरी व टीकमगढ़ के शहरों में बुक किया जाता है। सट्टा के सम्बंध में एक कहावत बिल्कुल सटीक बैठती हैं 'सौ सुनार की एक लुहार की'- सैकडों प्रयास करने के बाद सट्टा खेलने वालों का एक प्रयास सफल होता है, लेकिन युवक अपनी हारी हुई धनराशि को पुन: प्राप्त करने के प्रयास में इस दलदल में फंसता जाता है और एक समय बाद वह पूर्णता बर्बाद हो जाता है। कब इस सामाजिक बुराई पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस सकारात्मक कदम उठायेगी यह एक विचारणीय विषय है।
::
बॉक्स में
::
आखिर क्यों नहीं आते मुख्य सटोरिया पुलिस गिरफ्त में?
सट्टा को जैसी सामाजिक बुराई को रोकने के लिए पुलिस द्वारा सकारात्मक पहल नहीं की जा रही है। जिससे सटोरियों के हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं। पुलिस कार्यवाही के दौरान उन व्यक्तियों को पकड़ा जाता जो पहले से ही इस सामाजिक बुराई फंस कर बर्बाद हो चुके हैं। मुख्य सटोरिया आजाद घूम रहे हैं और इस जहर को युवाओं तक फैला रहे हैं। इस सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करने के लिए ठोस कार्यवाही की आवश्यकता है।