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सूखा : पाली बाँध में उड़ रही धूल

महरौनी (ललितपुर) : प्रकृति के साथ लगातार छेड़छाड़ करने से प्राकृतिक आपदायें अपना रौद्र रूप दिखा रही है

By Edited By: Published: Mon, 23 May 2016 12:23 AM (IST)Updated: Mon, 23 May 2016 12:23 AM (IST)

महरौनी (ललितपुर) : प्रकृति के साथ लगातार छेड़छाड़ करने से प्राकृतिक आपदायें अपना रौद्र रूप दिखा रही हैं, जिससे समूचे क्षेत्र में त्राहि-त्राहि मचा है। औसत से कम बारिश होने से जल संकट गहराने लगा है। पहले से ही कम भरे जलाशय तेज धूप के चलते सूख गए हैं। इससे मानव जीवन के साथ ही पशु-पक्षियों, जंगली जीवों पर जलसंकट का साया मंडरा रहा है। छोटे-बड़े तालाबों, बाध सूख जाने से पशुपालक भी खासे चिंतित है। तालाबों में जहाँ पानी होना चाहिए आज उनमें धूल उड़ रही हैं। इन तालाबों में बच्चों को खेलते देख लगता ही नहीं कि यहा कभी तालाब भी रहा होगा। पशु-पक्षियों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा हैं। बढ़ते तापमान ने मानव जीवन के साथ ही निरीह पशुओं को बेहाल कर दिया है। इंसान तो जैसे-तैसे अपना बचाव कर लेता है लेकिन अधिकतर जीव-जन्तु प्रकृति पर ही निर्भर हैं। ऐसे में क्षेत्र के छोटे-बड़े लगभग 90 प्रतिशत से अधिक तालाब, बाध,नाले व नदियाँ सूख जाने से समूचे क्षेत्र के सामने पानी का घोर संकट पैदा हो गया है। वहीं छुट्टियों का लुत्फ उठाते हुए आबादी के निकट तालाबों को बच्चों ने खेल मैदान बना लिया है। प्रशासनिक उदासीनता की वजह से कस्बा समीपवर्ती पाली बाध वर्तमान में पूर्णता सूख चुका है। जिम्मेदार महकमे ने कभी भी इस बाध के रखरखाव पर ध्यान नही दिया। जिससे आज यह महत्वपूर्ण बाध दुर्दशा पर आसू बहा रहा है। पाली बाध में धूल उड़ती हुई दिख रहीं है। अगर इस बाध पर प्रशासन समय-समय पर रखरखाव पर ध्यान देता तो निश्चित तौर पर वर्तमान में परिस्थितियों में आम जनता के काम आ रहा होता। जबकि इस बाध में कई वर्ष से बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी भी आ रहे थे।

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बाँध से सैकड़ों किसान करते हैं सिंचाई

यह बाध कस्बा सहित कई पास के गाँवों के किसानों की सिंचाई का एक महत्वपूर्ण विकल्प है। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही से यह बाध अपने उद्देश्य की पूर्ती नहीं कर पा रहा हैं। बाध की गहराई दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है जिससे बाध में बारिश का पानी एकत्रित नहीं हो पारा हैं। जिससे किसानों को खेती के समय सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन इस बाध के ऊपर विशेष ध्यान दे तो यह किसानों के लिए एक जीवन रेखा साबित हो सकता है। कई हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकती है।

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ग्रामीण हुए बेरोजगार

पाली गाव में निवास करने वाले ढीमर समुदाय के लोग इस बाध होने वाले मछली पालन पर निर्भर थे। लगातार बाध की दुर्दशा होने से इसमें पानी का भराव कम होता, जिससे इसमें समय से पहले मछली पालन का कार्य समाप्त हो जाता है। बाध के सूखने के बाद इन ढीमर जाति के लोगों पर परिवार के भरण-पोषण करने की समस्या मंडराने लगती है। कोई रोजगार न होने से गाँव के वाशिदे लगातार रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं।

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पाली बाँध बन सकता है पर्यटक स्थल

कस्बा के आस पास नगरवासियों के घूमने-फिरने के लिए कोई पर्यटक स्थल नहीं है, जहा पर लोग परिवार सहित मानसिक तनाव को दूर करने लिए घूमने जा सकें। छुट्टियों के दिन बच्चों के लिए भी कोई स्वस्थ मनोरजन के लिए माकूल जगह कस्बा के आस पास नहीं है, जिससे बच्चे कहीं घूमने-फिरने नहीं जा पाते हैं। अगर क्षेत्र के बडे़ जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अमला पाली बाँध की बदहाली को दूर करके वहा पर कस्बा सहित समूचे क्षेत्रवासियों के लिए मनमोहक पर्यटक स्थल बनाया जा सकता। बाध का गहरीकरण व सौन्दर्यीकरण करने के बाद वहा पर लोगों के लिए बोटिग व्यवस्था भी की जा सकती है, जिससे लोग बाध में पानी की सतह पर बोटिग कर मनोरजन कर सकें।


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