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कामधेनु साबित हो रही फसल बीमा योजना

ललितपुर ब्यूरो: फसल बीमा योजना कम्पनियों को कामधेनु साबित हो रही है। किसानों की समस्याओं का कोई पु

By Edited By: Published: Sat, 09 Jan 2016 12:35 AM (IST)Updated: Sat, 09 Jan 2016 12:35 AM (IST)
कामधेनु साबित हो रही फसल बीमा योजना

ललितपुर ब्यूरो:

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फसल बीमा योजना कम्पनियों को कामधेनु साबित हो रही है। किसानों की समस्याओं का कोई पुरसाहाल नहीं। लगातार आपदायें झेल रहे किसानों को भले ही राहत दिलाने के लिए शासन व प्रशासन स्तर पर कितने ही दावे किए जाएं, पर वास्तव में उनकी समस्याओं को लेकर गम्भीरता नजर नहीं आ रही। बैंक द्वारा फसल बीमा की राशि को लेकर परेशान किए जाने की शिकायत जिलाधिकारी से की गई है। किसानों की समस्याओं सम्बन्धी मामले आएदिन सामने आ रहे है।

शहर के गाँधीनगर नईबस्ती निवासी ब्रह्मानन्द चौबे पुत्र राधेलाल चौबे का मूल निवास समीपस्थ ग्राम धौर्रा है। उनका कहना है कि केसीसी खाता धारक है। बैंक द्वारा प्रत्येक छिमाही 2640 रुपये फसल बीमा के रूप में खाते से काटे जा रहे है। अतिवृष्टि और ओलावृष्टि से उसकी फसल बर्बाद हो गई थी। इसके बाद खरीफ की फसल भी बुरी तरह बर्बाद हो गई थी। इससे उसे भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। आरोप है कि उसके लिए बैंक द्वारा न तो रबी का बीमा क्लेम दिया गया और खरीफ का बीमा क्लेम दिया गया। आरोप है कि इस सम्बन्ध में कई बार बैंक प्रबन्धक से बात की गई, लेकिन उनकी शिकायत अब तक गम्भीरता से नहीं ली गई। नतीजतन उनके खाते में बीमा क्लेम की राशि उपलब्ध नहीं हो सकी है, जबकि उसी क्षेत्र के कई किसानों के फसल बीमा की धनराशि उपलब्ध कराई जा चुकी है। आरोप है कि बैंक पहुँचने पर प्रबन्धक द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा रहा है। उल्टे उनके साथ अभद्रता का व्यवहार कर अपमानित किया जा रहा है।

यह कहानी सिर्फ ब्रह्मानन्द चौबे की ही नहीं है। यदि तलाशा जाए तो जिले में ऐसे अनगिनत ब्रह्मानन्द जैसे परेशान किसान मिल जाएंगे, जिनकी ऐसी ही समस्याएं मिल जाएंगी। फसल बीमा के नाम पर जिले के किसानों से छल ही किया जा रहा है। बीमा के नाम पर कम्पनियों द्वारा करोड़ों रुपये किसानों से प्रीमियम के रूप में ले तो लिया जाता है, लेकिन जब किसानों की फसल नष्ट हो जाती है और बीमा क्लेम करने की बारी आती है, तो लगभग इसी प्रकार किसानों को परेशान किया जा रहा है। प्रशासन द्वारा भी किसानों के साथ हो रहे छलावे से बचाने के लिए कोई ठोस रणनीति नजर नहीं आ रही है, जिससे किसानों को राहत मिल सके।

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प्रीमियम 19 और मिला 18 करोड़ का क्लेम

ललितपुर: रबी की फसल ओलावृष्टि व अतिवृष्टि से नष्ट हो गई थी। इसका शासन द्वारा जिले के 755 गाँवों में नुकसान हुआ था। 289593 किसानों की फसल का आँकलन किया गया था। वहीं रबी की फसल में जिले के किसानों द्वारा बीमा कम्पनी द्वारा 19 करोड़ से अधिक की धनराशि फसल बीमा के प्रीमियम के तौर पर वसूली गई थी, इसके सापेक्ष किसानों को सिर्फ 18 करोड़ रुपये के लगभग ही क्षतिपूर्ति के रूप में किसानों को उपलब्ध कराए गए। किसानों को यह राशि पाने में भी दलालों और बैंक द्वारा परेशान किए जाने की शिकायतें प्राप्त हो रही है।

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नक्कारखाने तूती साबित हो रही आवाज

ललितपुर: बीमा प्रीमियम की राशि बैंक द्वारा स्वत: काटने को लेकर किसान संगठनों द्वारा उठाई जा रही आवाज नक्कारखाने में तूती साबित हो रही है। बिना सहमति किसानों के क्रेडिट कार्ड से बैंक द्वारा फसल बीमा के नाम पर प्रीमियम की राशि काट ली जाती है। इसका किसान संगठनों द्वारा प्रशासनिक किसान बैठकों और ज्ञापन, प्रदर्शन के माध्यम से विरोध किया जा रहा है। माँग की जा रही है कि किसान की सहमति से ही बीमा प्रीमियम की राशि काटी जाए, लेकिन अब तक समस्या का हल नहीं निकाला गया है। इससे किसानों में असंतोष है।


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