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'डेगू' ने फिर दी दस्तक

नया मरीज मिला बीमारी से निपटने को तैयार नहीं जनपद ललितपुर ब्यूरो : जनपद का स्वास्थ्य महकमा त

By Edited By: Published: Wed, 26 Nov 2014 01:11 AM (IST)Updated: Wed, 26 Nov 2014 01:11 AM (IST)
'डेगू' ने फिर दी दस्तक

नया मरीज मिला

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बीमारी से निपटने को तैयार नहीं जनपद

ललितपुर ब्यूरो :

जनपद का स्वास्थ्य महकमा तो मलेरिया से निपटने को भी पूरी तरह से तैयार नहीं था, पर अब तो जानलेवा डेगू ने भी दस्तक दे दी है। जिला चिकित्सालय में 4 दिन पूर्व भर्ती मरीज सचिन को जाँच के दौरान डेंगू होने की पुष्टि हुयी है। पूर्व में उसे मलेरिया की शिकायत बताकर भर्ती किया यगा था। मरीज के परिजन हायर सेण्टर पर इलाज कराने हेतु मरीज को ले जा रहे है।

मौसम में परिवर्तन क्या हुआ लोगों का शरीर परिवर्तित वातावरण को एडजस्ट नहीं कर पाया और लोग बीमारियों में चपेट में आने लगे। जगह-जगह जलभराव व गन्दगी के चलते मच्छरों की उत्पत्ति हुई फलस्वरूप मलेरिया ने पैर पसार लिये। अस्पताल चाहे सरकारी हो या निजी मलेरिया रोगियों से अटे पड़े है। स्वास्थ्य महकमा अभी मलेरिया से मुक्ति का हल नहीं खोज पाया था कि डेगू की दस्तक से अफसरों की परेशानियाँ बढ़ा दी है। एक ओर जहाँ निजी पथॉलजि लैबों पर मलेरिया जाँच के दौरान डेगू के लक्ष्ण नजर आ रहे है। हालाँकि स्वास्थ्य महकमा प्राइवेट लैब की जाँच रिपोर्ट से इत्तफाक नहीं रखता। शहर स्थित एक निजी लैब पर मलेरिया जाँच के दौरान डेगू के लक्षण उजागर हुए है। थाना महरौनी अन्तर्गत ग्राम खितवाँस निवासी सचिन (17) पुत्र सन्तोष अवस्थी मथुरा में पढ़ता है। बीते दिनों वह छुट्टियों में अपने गाँव आया, जहाँ पर उसे तेज बुखार आ गया। उसने जब निजी चिकित्सक को दिखाया व जाँच कराये, तो मलेरिया पाया गया। इसके बाद वह जिला चिकित्सालय गया। जहाँ उसे 21 नवम्बर को सुबह 8 बजे भर्ती कराया गया। सचिन का उपचार कर रहे डॉ.अमित चतुर्वेदी ने बताया कि पूर्व में मलेरिया बीमारी का इलाज चल रहा था। बीते रोज अचानक ही सचिन के मल के साथ रक्त आना शुरू हो गया। जिस कारण उन्हे डेंगू की आशका हुयी, इसलिए उन्होंने डेंगू की जाँच के लिए मरीज को लिखा।जिला चिकित्सालय में डेगू की जाँच की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण मरीज के परिजनों ने एक निजी पैथोलॅजि में जाँच करायी, जहाँ पर जाँच के दौरान उसके रक्त में डेगू एनएस-1 एन्टीजिन टेस्ट पॉजिटिव निकला है। चिकित्सक ने रिपोर्ट के आधार पर उपचार शुरू कर दिया, परन्तु मरीज के परिजन सचिन का इलाज कराने के लिए उसे हायर सेण्टर ले जा रहे है।

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बॉक्स-

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जनपद में नहीं सरकारी जाँच की सुविधा

ललितपुर : डेंगू बुखार के लक्षण अन्य बुखार वाली बीमारियों से मिलते-जुलते हैं। इसलिये शुरूआत में डेंगू को पहचानना मुश्किल होता है। जैसे-जैसे ये बुखार शरीर में फैलता है इसके लक्षण भी अन्य बीमारियों से अलग दिखाई पड़ते लग जाते है। डेगू बुखार से व्यक्ति की त्वचा ठण्डी पड़ जाती है। डेगू शरीर को पूरी तरह से तोड़ देता है। इसलिये इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते है। हैरानी की बात तो यह है कि डेंगू जानलेवा है लेकिन जनपद में इसकी जाँच की कोई सुविधा नहीं है।

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डेगू के इन लक्षणों में से कुछ हो सकते है-

- सिर, मास पेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना।

- सामान्य से अधिक कमजोरी महसूस होना।

-गले में दर्द की शिकायत आना।

-सब कुछ बेस्वाद लगना।

-जी मिचलाना व भूख न लगना।

-त्वचा ठण्डी होना, ब्लड प्रेशर कम होना

-शरीर पर लाल-गुलाबी चकत्ते पड़ जाना।

-रक्त में प्लेटलेट्स का स्तर कम होता जाना।

-पेट खराब होना, दस्त लगना।

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बच्चों में डेगू बुखार के लक्षण-

बच्चे जितने मन के कोमल होते है उतने ही शरीर से भी नाजुक होते हैं। बच्चों की संवेदनशीलता के कारण ही वे जल्दी-जल्दी बीमार भी पड़ जाते है। डेगू बुखार जैसी संक्रामक बीमारियों की चपेट में बच्चे जल्दी आ जाते है। डेंगू वायरस से सिर्फ वयस्क ही नहीं बल्कि बच्चे भी खासा प्रभावित होते है। डेगू का जितना खतरा वयस्कों में रहता है उससे कहीं अधिक बच्चों में भी रहता है। यदि बच्चे में बुखार के कारण ज्ञात नहीं होते और तेज बुखार के साथ कंपकंपी और शरीर में दर्द होता है तो रक्त जाँच से डेगू की पहचान की जा सकती है। डेगू से पीड़ित होने पर बच्चे में चलने-फिरने की हिम्मत नहीं रहती।

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डेगू बुखार में घट जाती है प्लेटलेट की संख्या-

डेगू एक जानलेवा बीमारी है। जो एडीज नामक मच्छर के काटने से फैलता है। यह काले सफेद रग का मच्छर दिन में काटता है। डेगू होने पर प्लेटलेट्स की संख्या घट जाती है। मनुष्य के शरीर में रक्त बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने की कोशिश करने से बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

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क्या है प्लेटलेट- प्लेटलेट्स दरअसल रक्त का थक्का बनाने वाली कोशिकाएं हैं। जो लगातार नष्ट होकर निर्मित होती रहती है। ये कोशिकायें एक यूनिट रक्त में 1 लाख से 3 लाख तक पाई जाती है। इनका काम टूटी फूटी रक्तवाहिकाओं की मरम्मत करना होता है।


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