'छुट्टी की एप्लीकेशन' का फर्जीवाड़ा उजागर
- प्रार्थना पत्र पर खाली छोड़ दी जाती तारीख की जगह - पूमावि घटवार में शिक्षिका ने दिया अवकाश का अग
- प्रार्थना पत्र पर खाली छोड़ दी जाती तारीख की जगह
- पूमावि घटवार में शिक्षिका ने दिया अवकाश का अग्रिम प्रार्थना पत्र
ललितपुर ब्यूरो : बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक-शिक्षिकाओं की छुट्टी की एप्लीकेशन का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय में एक शिक्षिका ने अवकाश के लिये प्रधानाध्यापक को तारीख की जगह छोड़कर प्रार्थना पत्र दे दिया, जिसे कैमरे में कैद कर लिया गया। बाद में प्रधानाध्यापक ने खाली जगह में तारीख लिखकर कमियों पर पर्दा डालने का प्रयास किया।
जनपद में संचालित परिषदीय विद्यालयों का तो भगवान ही मालिक है। विद्यालयों में तैनात शिक्षक-शिक्षिकाओं को शासन द्वारा अच्छी-खासी तनख्वाह दी जाती है, बावजूद इसके उनके द्वारा बरती जा रही लापरवाहियाँ थमने का नाम नहीं ले रही है। कतिपय शिक्षक-शिक्षिकायें अपनी मर्जी से विद्यालय आतीं और जाती हैं। हालाँकि ब्लॉक स्तर पर खण्डशिक्षा अधिकारियों की तैनाती है, लेकिन वह भी ज्यादा अंकुश लगाने का माद्दा नहीं रखते। विकासखण्ड बिरधा के धौर्रा क्षेत्र में अनेक विद्यालयों की शिक्षिकायें सीमावर्ती राज्य मध्यप्रदेश के विदिशा, बीना से अप-डाउन करती है, जो अधिकाँश समय देरी से आतीं और जल्दी चली जाती है। अभी इन शिक्षिकाओं की लापरवाही पर अंकुश लगा ही नहीं था कि एक और फर्जीवाड़ा उजागर हो गया। गुरुवार 30 अक्टूबर को दैनिक जागरण की टीम विकासखण्ड जखौरा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय घटवार पहुची। विद्यालय में प्रधानाध्यापिका मुन्नीदेवी नामदेव, सहायक अध्यापिका राजेश्वरी, शालिनी जैन और अनुदेशक पुष्पा श्रीवास व रामलली साहू तैनात है। प्रधानाध्यापिका ने बताया कि सहायक अध्यापिका शालिनी जैन अनुपस्थित है और उन्होंने अवकाश का प्रार्थना पत्र दिखाया, जिसमें तारीख की जगह खाली थी। टीम की नजर पड़ते ही उन्होंने खाली जगह में 30 अक्टूबर लिख दिया। इस प्रकार छुट्टी की एप्लीकेशन का खेल उजागर हो गया। जानकारों का मानना है कि इसी प्रकार तारीख की जगह खाली छोड़कर प्रार्थना पत्र दे दिया जाता है। यदि कोई निरीक्षण करने पहुँच जाये, तो प्रधानाध्यापक द्वारा तारीख लिख दी जाती है औ यदि कोई नहीं आया तो विद्यालय बन्द होने के बाद प्रार्थना पत्र रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता। इस खेल में सम्बन्धित प्रधानाध्यापिका द्वारा भी बराबर का सहयोग प्रदान किया गया। अब देखना दिलचस्प होगा कि विभागीय अफसर इस मामले में क्या कार्यवाही करते है।