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आसान नहीं जंगल और आबादी के बीच बाड़ लगाना

लखीमपुर : तीन दिन पहले पीलीभीत में बाघों के हमले में मरने वालों के आश्रितों को अनुदान राशि

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Aug 2017 12:07 AM (IST)Updated: Sat, 19 Aug 2017 12:07 AM (IST)
आसान नहीं जंगल और आबादी के बीच बाड़ लगाना

लखीमपुर : तीन दिन पहले पीलीभीत में बाघों के हमले में मरने वालों के आश्रितों को अनुदान राशि देते समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह एलान किया कि इंसानों की बाघों से सुरक्षा के लिए जंगल और आबादी के बीच बाड़ लगाई जाएगी। यह घाोषणा स्वागत योग्य है, लेकिन खीरी जिले में यह कार्य बेहद मुश्किल है।

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जिले के 60 से 70 गांव ऐसे हैं, जो दुधवा नेशनल पार्क और वन विभाग के नियंत्रण वाले जंगलों से बिल्कुल सटे हुए हैं। कई गांव तो रिजर्व फारेस्ट में ही बसे हुए हैं। गांव वालों की ¨जदगी पूरी तरह जंगल पर ही निर्भर है। उत्तर खीरी वन प्रभाग का पूरा इलाका दुधवा नेशनल पार्क के जंगल से सटा हुआ है। इसकी वजह से दुधवा से निकलने वाले बाघ डिवीजन के पलिया, मझगई, संपूर्णानगर के ग्रामीण इलाकों में इंसानों पर हमला कर उन्हें मार डालते हैं। इसी तरह दक्षिण खीरी वन प्रभाग में मैलानी, भीरा व मोहम्म्दी रेंज में जंगल से सटे गांवों के लोग आए दिन बाघों की दहशत में रहते हैं।

उत्तर खीरी में जंगल में ही बसे हैं कई गांव

मझगई रेंज का बौधिया कलां में आए दिन हाथियों के उत्पात मचाने से ग्रामीण दहशत में रहते हैं। यहां हाथी कई ¨जदगियों को मौत के घाट उतार चुके हैं। बौधिया कलां गांव रिजर्व फारेस्ट में बसा है। इसके अलावा चौखड़ा, गुलराटांडा, बसंतपुर कलां, बसंतपुर खुर्द समेत कई गांव ऐसे हैं, जहां हर वक्त बाघों का खौफ रहता है। मझगई रेंज का करीब 25 किलोमीटर का इलाका ऐसा हैं, जहां बाघों से बचाने के लिए बाड़ लगाना पड़ेगा। बेलरायां रेंज में भी बाघों की चहलकदमी होती रहती है। दुधवा पार्क से सटे करीब 20 किलोमीटर की सीमा पर कड़िया ढांगा, बेलापरसुआ, रघुनगर, सूरतनगर, रमनगर, इंदरनगर समेत तमाम गांवों के लोग बाघों की सक्रियता के चलते दहशतजदा रहते हैं। पलिया रेंज के परसपुर, लकदहन, पतेड़ा, गिरदा, खैराना, बैबहा, रमुआपुर, बाजपुर, घोला, गजरौला सहित करीब 30 किलोमीटर एरिया में बसे गांवों के लोग दहशत के साए में जीते हैं। इसी तरह संपूर्णानगर रेंज और दुधवा पार्क की सीमा से सटे करीब 25 किलोमीटर क्षेत्र में टाटरगंज, बम्हनपुर, भगीरथ, बैलहा, ¨सगाही खुर्द, रानीनगर, बसही समेत कई गांव जंगल में या उससे सटे क्षेत्र में बसे हैं। धौरहरा रेंज पड़ोसी जिला बहराइच की मोतीपुर रेंज के जंगलों से सटा है। करीब 40 किलोमीटर की जंगल की सीमा में गनापुर, कैरातीपुरवा, मिलिक, फकीरेपुरवा, जंगल मटेरा, जंगल गुलरिया समेत कई गांव आबाद हैं। इन गांवों में मोतीपुर रेंज से निकले तेंदुआ ग्रामीणों पर हमला कर मार डालते हैं।

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भीरा, मैलानी में आए दिन बाघ करते हैं घुसपैठ

इधर, दक्षिण खीरी वन प्रभाग के मैलानी रेंज के जंगल किशनपुर सेंचुरी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। किशनपुर के बाघ जंगल से सटे छेदीपुर, चपरहा, कोरियानी समेत डेढ़ दर्जन से अधिक गांव वालों के लिए खतरा बने रहते हैं। हाल ही में छेदीपुर में बाघ ने पांच ¨जदगियों को मौत के घाट उतार दिया था। मैलानी का करीब 35 किलोमीटर के जंगली क्षेत्र से आबादी बस्तियां सटी हुई हैं। इसी तरह भीरा रेंज भी किशनपुर के 30 किलोमीटर इलाके से लगा हुआ है। भीरा के कांपटाडा, महराजनगर, लैलूननगर जैसे एक दर्जन से अधिक गांव जंगल के किनारे बसे हैं।

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जिम्मेदार की सुनिए

जंगल के किनारे बाड़ लगाने का अभी कोई आदेश नहीं आया है। उत्तर खीरी वन प्रभाग का इलाका तो दुधवा से सटा है। करीब 100 किलोमीटर का एरिया ऐसा है, जहां बाड़ लगाने पर इंसानी बस्तियों में बाघों की दखलअंदाजी रोकी जा सकती है। अगर शासन का ऐसा कोई निर्देश आता है तो सर्वे कर रिपोर्ट भेजी जाएगी।

अनिल कुमार पटेल, डीएफओ उत्तर खीरी


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