वाराह अवतार की कथा सुन श्रोता भाव विभोर
लखीमपुर : चंदेल लॉन में शुरू हुई भागवत कथा के दूसरे दिन कथा सुनाते हुए पं. हरिकृष्ण शास्त्री में वार
लखीमपुर : चंदेल लॉन में शुरू हुई भागवत कथा के दूसरे दिन कथा सुनाते हुए पं. हरिकृष्ण शास्त्री में वाराह एवं कपिला अवतार की कथाओं से लोगों को कर्म का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि विपत्ति एवं खुशियां आती जाती रहती हैं, लेकिन व्यक्ति के कर्म और उसका धर्म सदैव उसके साथ होता है। उसमे उसके धर्म से कभी विमुख नहीं होना चाहिए। सत संगति बहुत ही भाग्य से मिलती है और साधुओं की संगत बिना भगवत कृपा कभी नहीं होती। भागवत कथा में कथा व्यास ने परमात्मा की भक्ति का महत्व समझाते हुए कहा कि भगवत कृपा के बिना संतों के दर्शन संभव नहीं है। परमात्मा की कृपा से भक्ति संतों के दर्शन और अंत में जीवन से मुक्ति भी मिलती है। उन्होंने बताया कि ईश्वर प्राप्ति के लिए ही मानव तन दिया गया है।
भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि समस्त भौतिक जगत में मुझे वासुदेव के दर्शन करता है और मुझ वासुदेव में जगत के दर्शन करता है। उसकी आंखों से न तो मय ओझल होता हूं न मेरी आंखों से वह। इस मौके पर कथा सुनने वालों में यजमान श्रीकांत मिश्र व रामदेवी मिश्रा मौजूद रहे। त्यागी बाबा के आगमन पर यजमानों ने उनका माला महना कर भव्य स्वागत किया। कथा सुनने वालों में कवि अनिल अमल, प्रदीप ¨सह चौहान, जगमोहन पांडेय, विनोद ¨सह, संदीप ¨सह चौहान, आचार्य संजय मिश्र व आर्येंद्र पाल ¨सह आदि मौजूद रहे।