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अंतराष्ट्रीय सीमा के पिलरों पर मड़रा रहा खतरा!

लखीमपुर: भारत नेपाल सीमा पर लगे अंतराष्ट्रीय सीमा पर पिलर किसी भी समय मोहाना नदी के कटान की जद में आ

By Edited By: Published: Tue, 05 May 2015 09:14 PM (IST)Updated: Tue, 05 May 2015 09:14 PM (IST)
अंतराष्ट्रीय सीमा के पिलरों पर मड़रा रहा खतरा!

लखीमपुर: भारत नेपाल सीमा पर लगे अंतराष्ट्रीय सीमा पर पिलर किसी भी समय मोहाना नदी के कटान की जद में आ सकते हैं क्योंकि मोहाना नदी अब कटान करते हुए धीरे-धीरे अंतराष्ट्रीय सीमा पिलरों की ओर बढ़ रही है। नदी से सीमा पिलरों की दूरी काफी कम होने के कारण अब सीमा पर लगे कुछ अंतराष्ट्रीय सीमा पिलरों का कटान से बच पाना मुश्किल भरा लग रहा है। ऐसे में यदि सीमा पिलर नदी के कटान की भेंट चढ़ गये तो दोनों देशों के अधिकारियों को बार्डर लाइन चिन्हित करने में खासी परेशानी उठानी पड़ सकती है। मालूम हो कि भारत नेपाल सीमा पर बसे थारू बाहुल्य गांव बेलापरसुआ के मजरा जाऊरामपुरवा के निकट बह रही मोहाना नदी सीमा के पिलर संख्या 721/4 (134) व पिलर संख्या 721/3 ( 134-।) से कुछ ही दूरी पर बह रही हैं। सीमा पर लगाये अंतराष्ट्रीय पिलर दोनों देशों की सीमाओं को विभाजित करते हैं। इन पिलरों के ठीक सामने कुछ ही दूरी पर और भी पिलर लगे हैं। इन पिलरों के उत्तर की ओर बह रही मोहाना नदी का बहाव सर्पाकार होने के कारण कहीं-कहीं यह नदी अंतराष्ट्रीय सीमा पिलरों के आस-पास तो कहीं-कहीं कुछ दूरी पर बह रही है। परंतु पिलर संख्या 721/4 (134) व पिलर संख्या 721/3(134-।) के निकट बह रही यह नदी किसी भी समय इन पिलरों कों आपने आगोश में ले सकती है। यदि सीमा के यह पिलर नदी के आगोश में समा गया तो इन पिलरों के ठीक सामने लगे कुछ अन्य पिलर भी नदी में समा जायेंगे। यदि ऐसा हुआ तो दोनों देशों के अधिकारियों को बार्डर लाइन चिन्हित करने के लिए लम्बा चौड़ा गुणा भाग और गहरी माथापच्ची करनी पड़ सकती है। हलांकि पिछले वर्ष दोनों देशों के अधिकारियों द्वारा सीमा पर संयुक्त रूप से सर्वे कराकर बाढ़ से पूर्व में क्षतिग्रस्त हुए पिलरों की मरम्मत का कार्य कराया गया था। परंतु नदी की दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही विनाश लीला से दोनों देशों के अधिकारी ¨चतित हो उठे हैं और नदी ने उनके लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। लेकिन नदी की इस प्राकृतिक आपदा को रोक पाना अब उनके बस की बात नहीं है।

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क्या कहते हैं अधिकारी-

अंतराष्ट्रीय सीमा पिलरों पर मड़रा रहे कटान के खतरे के बावत जब एसएसबी तृतीय वाहिनी खीरी के उपसेनानायक डॉ. अतुल कुमार से दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने बताया यदि सीमा के पिलर ¨कही कारणोंवश क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या कटान की जद में आ जाते हैं तो इसके लिए जिला अधिकारी के साथ-साथ मुख्यालय को सूचित करना पड़ता है। उसके बाद दोनों देशों की सर्वे टीम ज्वाइंट सर्वे कर उस जगह को ¨चहित करती है इसके बाद आगे की कार्यवाही की जाती है। यह सच है कि कुछ पिलर कटान की जद में आ सकते है इसलिए उनकी विशेष निगरानी की जा रही है और इसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को भी प्रेषित की जा चुकी है साथ ही समय समय पर साप्ताहिक रिपार्ट भी तैयार की जाती है।


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