आंधी संग तेज बौछार से जनजीवन बेहाल
लखीमपुर : रविवार रात आई तेज आंधी के साथ बारिश से सोमवार दोपहर तक जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। शहर में
लखीमपुर : रविवार रात आई तेज आंधी के साथ बारिश से सोमवार दोपहर तक जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। शहर में जहां जगह-जगह जलभराव की समस्या पैदा हो गई, वहीं शहर की विभिन्न गलियों व सड़कों पर सन्नाटा पसर गया। लोग बारिश के कारण अपने घरों में दुबके रहे। इसके अलावा जिले के विभिन्न स्थानों पर गेहूं व मसूर की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। तेज आंधी के कारण गेहूं की फसल पलट गई, जिससे किसानों के माथे पर ¨चता की लकीरें पड़ गई हैं।
देर रात से सोमवार को दोपहर लगातार हो रही बारिश से शहर के शिवकालोनी, गंगोत्री, जिला अस्पताल प्रांगण, विलोबी मैदान समेत विभिन्न जगहों पर जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गयी। वहीं गोलागोकर्णनाथ, भीरा, बेहजम, मैगलगंज, मितौली, ईसानगर, धौरहरा, नकहा समेत विभिन्न ग्रामों में सफाई की उचित व्यवस्था न होने पर कीचड़ व जलभराव की समस्या बनी रही। इस बारिश से किसानों को गेहूं, मसूर, उड़द व गन्ने की बोआई में नुकसान पहुंचा हैं। बारिश के बाद अचानक बदले मौसम ने लोगों को सर्दी का अहसास करवा दिया है। सुबह से लोग भीगते हुए अपने गंतव्यों को पहुंचे तो कुछ लोग अपने को भीगने से बचाते नजर आए। बताते चलें अभी कुछ दिनों पहले हुए ओलावृष्टि से कुछ किसानों की गन्ने व गेहूं की फसल पलटकर बरबाद हो गई थी, लेकिन एक बार फिर आई तेज आंधी व बारिश ने बचे खुचे किसानों की कमर तोड़ दी है।
निघासन संवादसूत्र के मुताबिक रविवार शाम तेज हवा के साथ हुई बरसात ने क्षेत्र सहित तराई के मौसम का मिजाज भले ही बदल दिया हो पर बागवानी के साथ-साथ गेहूं, मसूर, उड़द तथा गन्ने की बोवाई में लगे किसानों के लिए नुकसानदेह साबित हुई। एक माह पूर्व हुई बारिश के साथ ओलावृष्टि से गिरि गेहूं की फसल जो अब हुई बारिश से सड़ने के आसार बढ़ने से गेहूं किसानों के चेहरे भी मुरझा गए हैं और सबसे ज्यादा नुकसान आम की बागवानी के किसानों का हुआ है। जो कि तेज हवा के साथ हुई बारिश पेड़ों पर आया बौर झड़ गया है। यही नहीं गन्ने की बोवाई के लिए तैयार खेतों में पानी भर जाने से बोवाई में भी काफी क्षति हुई है।
मोहम्मदी संवादसूत्र के मुताबिक रविवार शाम तेज आंधी के साथ आई बौछार ने किसानों के दिलों की धड़कने बढ़ा दी थी। रात को फिर आज प्रात: आई वर्षा ने बिछे पड़े गेहूं को हाथों से काटने की तैयारी कर रहे किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। आंधी और पानी ने किसान के माथे पर ¨चता की रेखाएं नहीं बल्कि उन्हें खून के आंसू रोने पर मजबूर कर दिया। एक सदमें से उबरने के प्रयास में लगे अन्नदाता को भगवान ने दूसरा झटका देकर बरबादी की कगार पर पहुंचा दिया। मिलों की मनमानी से गन्ने से सकारात्मक वापसी न होने से टूट सा गया किसान दलहन, तिलहन, आलू के साथ गेहूं के भी बरबाद हो जाने से वो समझ ही नहीं पा रहा था कि कैसे बैंक एवं साहूकारों एवं सहकारी समितियों का ऋण अदा करेगा और अगली फसलों के लिये ऋण कहां ले पाएगा ? ये सोचकर किसान खासा परेशान हैं। खेतों में बिछी गेहूं की फसल की उपज कहीं 30-40 प्रतिशत तो कहीं कही 60-70 प्रतिशत तक बरबाद हो चुकी है जो बची है उसे बचाना मुश्किल हो रहा है।