25 वर्षो से नहीं बन सका एक पुल
लखीमपुर : विकास की गंगा यहां सूखी है, बाकी सब तो छोड़िए एक पुल जो करीब पच्चीस साल से टूटा है उस पर भी
लखीमपुर : विकास की गंगा यहां सूखी है, बाकी सब तो छोड़िए एक पुल जो करीब पच्चीस साल से टूटा है उस पर भी नजर-ए-इनायत नहीं हो सकी। इस अकेले पुल की वजह से दर्जन भर गांव बीहड़ बन गए है। बरसात के दिनों में तो यह गांव दुनिया से लगभग कट ही जाते है।
हम बात कर रहे है धौरहरा से ग्राम पण्डित पुरवा जाने वाले मार्ग पर बरसो से टूटे पुल की। यह पुल नब्बे के दशक में बाढ़ के चलते टूट गया था। तब से आज तक हाल वैसा ही है। पुल के उस पार के दर्जन भर गांवों के लिए खासकर बरसात के दिनों में धौरहरा विदेश बन जाता है। धौरहरा और इन गांवों के बीच सैकड़ों रिश्तेदारियां भी है और इन गांवों के बा¨शदों की मूलभूत जरूरतें भी धौरहरा आए बगैर पूरी नहीं होती, लेकिन इस पुल के न होने के कारण इनका आवागमन बेहद दुरूह है। अभी तो ग्रामीण ही अपनी मेहनत और लागत से पुल के नीचे मिट्टी पाटकर अस्थाई रास्ता बना लेते है, लेकिन बरसात के दिनों में यहां नाव का ही सहारा होता है। यह पुल बनाने की मांग भी विभिन्न मंचों पर ग्रामीण लगातार करते रहे है, लेकिन न तो अफसरों की न नेताओ की ही नजर इस ओर पड़ी। काबिल-ए-गौर है कि यह इलाका राजनैतिक विद्वेश की वजह से भी उपेक्षित है। जिले के एक कद्दावर नेता का कृषि फार्म यहां के गांव में होने और उनके विपक्षी ग्राम प्रधान की अत्यधिक राजनैतिक सक्रियता के चलते छिड़ी राजनैतिक जंग का खामियाजा यहां के ग्रामीण भुगत रहे है।