जमीन पर मरीज, स्टोर में पलंग
लखीमपुर : मरीज जमीन पर भर्ती हैं और जिला अस्पताल के मेडिकल वार्ड व स्टोर में जाने कितने टूटे पड़े पुराने पलंग बंद हैं, जिन्हें रिपेयरिंग कराकर मरीजों को बेड उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
जिला अस्पताल में करीब 150 के आसपास ही बेड हैं, लेकिन ज्यादा मरीज होने पर कई बार वे जमीन पर भर्ती किए जाते हैं।
अगर आप जिला अस्पताल में रखे जनरेटर या पीने के पानी के कक्ष की तरफ गए होंगे तो बच्चा वार्ड के ठीक पीछे एक पुराने बंद पड़े स्टोर रूम में रखे कुछ टूटे बेडों पर भी आपकी निगाह जरूर गई होगी। कई साल से इस स्टोर में रखे यह टूटे पलंग न तो रिपेयर कराये गये, न ही इस कबाड़ का निस्तारण करना जिला अस्पताल के अफसरों ने जरूरी समझा। यही हाल मेडिकल वार्ड का भी है जहां महिला वार्ड के बाहर ऊपर रखे हुए पलंग कभी भी देखे जा सकते हैं।
ज्ञात हो कि करीब दो साल पहले तत्कालीन जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने अपने अस्पताल निरीक्षण के वक्त जमीन पर भर्ती मरीज व स्टोर में रखे टूटे बेडों की रिपेयरिंग कराने के आदेश देते हुए कहा था कि किसी भी हाल में मरीजों को जमीन पर भर्ती न किया जाए। इसके बाद जिला अस्पताल में करीब 50 बेड रिपेयर भी कराए गए थे, जिन पर मरीजों को भर्ती किया गया था, लेकिन दो साल बाद अब फिर मरीजों के लिए समस्या खड़ी होने लगी है। जिला अस्पताल के मेडिकल वार्ड में कई बार जमीन पर भर्ती मरीज सरकारी लापरवाही उजागर करते हैं। अंग्रेजी शासन काल के करीब 80 साल से भी ज्यादा पुराने इस अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने या उनके पलंग डालने भर की जगह भी नहीं है। 50 बेड वाला एक हाल बनवाया भी गया तो न तो संसाधन न मानव संसाधन कुछ भी नही मिला शासन से मदद न मिलने पर लाचार जिला अस्पताल के आला अफसर किसी तरह मरीजों को भर्ती कराने की व्यवस्था करते हैं। इस मामले में चुनाव जीतने वाले जन प्रतिनिधियों ने भी मालाएं पहनने के अलावा कोई रुचि नहीं दिखाई।
जिलाअस्पताल की सीएमएस डॉ. नीलम श्रीवास्तव बताती हैं कि जनरेटर कक्ष की तरफ से स्टोर में बच्चों के टूटे पलंग हैं वे बिलकुल कबाड़ हो चुके हैं। इनको रिपेयरिंग नहीं कराया जा सकता है, जबकि मेडिकल वार्ड की बिल्डिंग वाले स्टोर में जो बड़े पलंग है उनमें कुछ रिपेयर कराए जा सकते हैं। गत वर्ष 50 बेड रिपेयर कराए गए थे। कबाड़ निस्तारण की प्रक्रिया लंबी है वह समय पर होगा।