Move to Jagran APP

सत्संग में धुलते हैं मन के विकार: सुदक्षा

By Edited By: Published: Fri, 25 Jul 2014 11:53 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jul 2014 11:53 PM (IST)

तिकुनिया: जैन साध्वी सुदक्षा जी महाराज ने कहा कि सत्संग एक धोबीघाट की तरह है। जिस प्रकार धोबी घाट पर मैले कपड़े लेकर जाता है और वहां वे कपड़े साफ हो जाते हैं, उसी प्रकार संत मन के विकारों को दूर करते हैं। इसलिए घर से जब भी चलें यह सोचकर चलें कि मन के मैल को धोने के लिए सत्संग में जा रहे हैं। साध्वी जैन स्थानक में श्रोताओं को सत्संग की महत्ता बतला रही थीं। उन्होंने कहा कि आज जब कोई व्यक्ति परेशान होकर कहता है कि अब धर्म में उसकी कोई आस्था नहीं रही तो समझो उसने धर्म को समझा ही नहीं। यह बिल्कुल उसी तरह है जिस तरह मिश्री खाकर कहें कि उसमें मिठास नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि आज का व्यक्ति सहनशीलता खोता जा रहा है, यही कारण है कि घर और बाहर दुखों व समस्याओं का अंबार लगा है। सहनशीलता की कमी हो गई है। जब स्वभाव मे सहनशीलता नहीं आती है तो रिश्ता बोझ लगने लगता है। साध्वी सुयश श्री ने 'जीवन है दिन चार क्यों तू पाप कमाता है, कर ले प्रभू से प्यार क्यों तू पाप कमाता है ' भजन प्रस्तुत किया। इस अवसर सुषमा जैन, धर्मपाल जैन, सुरेंद्र जैन, मोना जैन, राजकुमार गोयल, जगदेव सिंघल, बजरंग अग्रवाल, अनूप गोयल, प्रमोद अग्रवाल, रामविलास साहू आदि तमाम लोग मौजूद रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.