बीरवट कोन्हवलिया में बांध पर मंडरा रहा खतरा
कुशीनगर : पहाड़ों पर बर्फ पिघलने से नारायणी नदी के जल स्तर में हालांकि मामूली वृद्धि हुई है ¨कतु यह स
कुशीनगर : पहाड़ों पर बर्फ पिघलने से नारायणी नदी के जल स्तर में हालांकि मामूली वृद्धि हुई है ¨कतु यह स्थिति कटान के लिए मुफीद होने से एपी बांध पर खतरे का संकट मंडराने लगा है। बांध के करीब आधा दर्जन स्थान संवेदनशील स्थिति में पहुंच चुके हैं। बचाव कार्य न होने से ग्रामीण पलायन की तैयारी में हैं। बांध के किमी 1.00 से किमी 4.8 तक जंगली पट्टी के सामने नदी बांध से टकरा कर बह रही है। दिन-प्रतिदिन स्थिति भयावह होती जा रही है। बांध के किमी 8.200 से किमी 9.00 तक बांकखास व बीरवट कोन्हवलिया की सीमा है। धीरे-धीरे काटते हुए नदी बांध की जड़ तक पहुंच गई है और आधा बांध नदी की धारा में समाहित हो चुका है। अब सड़क निशाने पर है। यहां यदि बांध को नुकसान पहुंचता है तो नदी की धारा परिवर्तित हो जाएगी। इससे बीरवट कोन्हवलिया, बाघाचौर, बांकखास, फागू छापर, सिसवा नाहर, अहिरौलीदान सहित बिहार प्रांत के गोपालगंज जनपद के सैकड़ों गांवों में बाढ़ आ जाएगी और लाखों की जनसंख्या को प्रभावित कर देगी। पिपराघाट-नरवाजोत एक्सटेंशन बांध भी खतरे की जद में है और इस बांध कि किमी 1.00 के सामने नदी सड़क को काट रही है। बांध के अंतिम छोर पर स्थित ग्राम पंचायत अहिरौलीदान का कचहरी टोला गत वर्ष कटान में आधा शेष रह गया था। इस वर्ष सर्वाधिक खतरा इसी टोले पर है। हालांकि कचहरी टोला में विभाग द्वारा बचाव कार्य शुरु कराया गया है ¨कतु ग्रामीण इसे नाकाफी मान रहे है। नदी के कटान की गति को देखते हुए व प्रशासन की संवेदनहीनता से ग्रामीण भयभीत है व पलायन की तैयारी में जुट गए है।
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किसी भी हाल में नहीं कटने दिया जाएगा बांध : डीएम
सेवरही : डीएम आन्द्रा वामसी ने बताया कि किसी भी हाल में बांध को कटने नहीं दिया जाएगा। कहा कि इसके लिए संबंधित विभाग के अभियंताओं को निर्देशित किया गया है। अगर बांध को क्षति पहुंचता है तो जिम्मेदार बख्से नहीं जाएंगे।