कुदरत की मार: तीन पीढि़यां जन्मान्ध
कुशीनगर: कहा जाता है कि कुदरत सभी के साथ न्याय करती है, लेकिन पडरौना तहसील क्षेत्र के नंदलाल छपरा गा
कुशीनगर: कहा जाता है कि कुदरत सभी के साथ न्याय करती है, लेकिन पडरौना तहसील क्षेत्र के नंदलाल छपरा गांव में रहने वाले एक कुनबा कुदरत की मार झेलने को मजबूर है। इस परिवार की तीन पीढि़यां जन्म से ही ²ष्टिहीन है। परिवार के सदस्यों का कहना है कि कुदरत ने मुंह फेरा तो प्रशासनिक अमला भी उदासीन बन बैठा। एक छोटे से कमरे में गुजर-बसर करने वाले इस कुनबे का भोजन पड़ोसियों के भरोसे चल रहा। परिवार की मुखिया 70 वर्षीय नगिनी देवी को मिलने वाली विधवा पेंशन भी दो सालों से बंद है। ग्रामवासी बटई की एक मात्र संतान नगिनी का जन्म हुआ तो परिवार में खुशियां मनाई गईं, लेकिन कुछ दिन बाद ही खुशियां काफूर हो गईं। पता चला कि नगिनी जन्मांध हैं। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण नगिनी का इलाज नहीं हुआ, हालांकि बाद में उसका विवाह हो गया। नगिनी की एकमात्र संतान कुसमी हुई, उसे भी जन्म से ही कुछ नहीं दिखाई देता। नगिनी बेवा हो गई तो बेटी के साथ अपने पिता के घर नंदलाल छपरा आकर रहने लगी। एकमात्र संतान होने के कारण उसे रहने को ठिकाना तो मिल गया, लेकिन पिता का साया उठने के बाद मां और बेटी दोनों बेवश हो गईं। गांव वालों के प्रयास से कुसुमी का विवाह हुआ, उसका पति तो ठीक है, लेकिन बेटा अरुन को भी जन्म से दिखाई नहीं देता। तीन पीढि़यों से ²ष्टिहीनता का दंश झेल रहा यह कुनबा बदहाली का शिकार है। पड़ोसियों की मदद से यह परिवार जीवित तो है, लेकिन बेहद खस्ताहाल स्थिति में। ग्रामीणों की मदद से इसकी जानकारी प्रशासन तक पहुंचाई गई, जिलाधिकारी शंभु कुमार ने मदद करने का भरोसा दिलाया है।