तो बिना किताब के पढ़ रहे बच्चे
कुशीनगर: परिषदीय स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के नाम पर कान्वेंट जैसी सुविधा देने की बात बेम
कुशीनगर: परिषदीय स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के नाम पर कान्वेंट जैसी सुविधा देने की बात बेमतलब साबित हो रही है। अगस्त बीतने को है, लेकिन परिषदीय विद्यालयों में बच्चे बिना किताब के पढ़ने को मजबूर हैं। किताबों का वितरण न होने से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शासन की मंशा है कि परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को कान्वेंट जैसी सुविधाएं देकर अभिवावकों को आकर्षित किया जाए। अप्रैल माह से ही नया शिक्षण सत्र शुरू हो गया। बच्चों को भोजन के अलावा दूध और फल देने पर भी जोर दिया जा रहा है, लेकिन अब तक तक बच्चों के हाथों में किताब नहीं आई। प्रदेश सरकार बच्चों को बैग देने की तैयारी कर रही है, लेकिन किताबों की उपलब्धता की चर्चा नहीं हो रही। अधिकारी स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं। कमी मिलने पर गुरू जी पर कार्रवाई भी हो रही है। शायद उन्होंने मान लिया है कि गरीब बच्चे बिना किताब के भी पढ़ सकते हैं।