..कही जमीं तले तेल का भंडार तो नहीं
कुशीनगर : विकास खंड नेबुआ नौरंगिया के गांव लक्ष्मीपुर ऊर्फकुर्मीपट्टी के टोला केरवनिया के पास से प्
कुशीनगर : विकास खंड नेबुआ नौरंगिया के गांव लक्ष्मीपुर ऊर्फकुर्मीपट्टी के टोला केरवनिया के पास से प्रवाहित हो रही छोटी गंडक नदी के तल से बाहर निकलकर पानी में तैर रहे तेल को देख क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी हैं। कयास लगाए जा रहे है कि जमीन के नीचे कहीं तेल का बड़ा भंडार तो नहीं है।
ग्रामवासी महेंद्र गुप्ता, विनोद गुप्ता, गणेश साहनी, भग्गन साहनी, राजकुमार गुप्ता, सुरेन्द्र ने मौके का नजारा देख कहा कि नदी में पानी इस समय बहुत कम है। नदी में कदम रखने पर जमीं से तेल का रिसाव होकर पानी के उपर तैरता दिख रहा है। यह क्रम बीते तीन दिनों से जारी है। इसकी चर्चा जोर पकड़ने लगी तो यह जंगल में आग की तरह आम हो रही है। सुबह के समय रिसाव कुछ अधिक होता दिख रहा रहा है।
बताना मुनासिब होगा कि जनवरी 2009 में पोलैंड की तेल कंपनी केयर्न जियोफिजिका और भारत सरकार के बीच हुए एक करार के अंतर्गत 40 किमी परिक्षेत्र में जीपीएस के सहयोग से झण्डी लगाकर खेतों में गढ्ढा बना कर विस्फोट कराया गया था। जिसमे इस गांव के किसानों को फसल की क्षतिपूर्ति भी दी गयी थी। जागरण ने इसे 09 जनवरी 2009 को तेल शोध कम्पनी ने वितरित किया फसल क्षतिपूर्ति पत्रक शीर्षक से प्रमुखता से प्रकाशित किया था।