कभी खत्म नहीं होता प्रेम का सागर- विचार दास
संत कबीर नगर : कबीर साहब ने प्रेम को प्रेम रूपी शराब की संज्ञा देते हुए कहा कि प्रेम वह सागर है जो
संत कबीर नगर : कबीर साहब ने प्रेम को प्रेम रूपी शराब की संज्ञा देते हुए कहा कि प्रेम वह सागर है जो कभी भी समाप्त नहीं होता, लेकिन इसके रसपान के लिए अपने अभिमान को त्यागना पडता है। इसके रसपान से ही जीवन की बुराइयां समाप्त कर व्यक्ति हर आनन्द को प्राप्त कर सकता है। यह बातें गुरुवार को संत कबीर आचार्य अमृत दास महाविद्यालय में आयोजित कौमी एकता सपताह के समापन समारोह को संबोधित करते कबीर चौरा मठ के महंत विचार दास ने कहीं। उन्होंने कहा कि एकता से ही देश का विकास संभव है। अगर हम जात पात का भेदभाव रखेंगे तो कभी भी विकास नहीं कर सकते। बतौर विशिष्ट अतिथि हीरालाल पीजी कालेज के पूर्व प्राचार्य डा. अर्जुन राम त्रिपाठी ने कहा कि मनुष्य के शरीर का निर्माण जिन तत्वों से हुआ है वह एक समान है। हम वेशभूषा, और जाति के आधार पर उनसे मतभेद क्यों कर रहे हैं। सामाजिक विकास के बगैर किसी का विकास संभव नहीं है। इसी क्रम में संत कबीर आचार्य राम विलास इंटर कालेज के प्रधानाचार्य डा राकेश ¨सह ने कहा कि हमारा देश युवा प्रधान देश है अगर युवा अपने देश की उन्नति के लिए संकल्पित हो जाएं तो हमारा देश भी विकसित राष्ट्र बन जाएगा। सेवानिवृत्त अध्यापक वेद प्रकाश चौबे ने कहा कि कबीर साहब ने जिस प्रेम की भाषा को अपनाने की बात की है उसे अंधा, बहरा गूंगा व्यक्ति भी महसूस कर सकता है। आज युवाओं पर आधुनिकता हावी है जिसका दुष्प्रभाव भी युवाओं को पीछे लाने में सहायक हो रहा है। एनएसएस द्वारा प्रायोजित सात दिवसीय कौमी एकता सप्ताह कार्यक्रम में एनएसएस में प्रतिभाग करने वाली छात्र छात्राओं ने साफ सफाई, वाद विवाद प्रतियोगिता के साथ ही विभिन्न कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाली छह छात्राओं को अतिथियों द्वारा पुरस्कार दिया गया। कार्यक्रम का संचालन डा हरिराम शास्त्री ने किया। इस अवसर पर अवधेश ¨सह, विद्याधर यादव के अलावा विद्यालय के अध्यापकगण मौजूद रहे।