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जले आशियानों को देख नहीं थम रहे आंसू

जागरण संवाददाता, कुशीनगर : चितहां गांव में तिनका -तिनका जोड़ कर वर्षो में तैयार हुआ गरीबों का आशिय

By Edited By: Published: Thu, 30 Oct 2014 11:30 PM (IST)Updated: Thu, 30 Oct 2014 11:30 PM (IST)

जागरण संवाददाता, कुशीनगर : चितहां गांव में तिनका -तिनका जोड़ कर वर्षो में तैयार हुआ गरीबों का आशियाना एक झटकें में जलकर राख हो गया। राख से सामान ढूढ़ते लोगों के आंखों से झर-झर बहते आंसू नहीं थम रहे थे। रिश्तेदार व शुभ चिंतक ढ़ाढ़स बधाने में जुटे हुए थे।

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पडरौना से महज 14 किमी दूर स्थित पिपरा बाजार के सटे बगल के गांव चितहां में बुधवार की रात्रि में एक चिंगारी ने डेढ़ दर्जन लोगो की तकदीर बदल दी। रिहायशी घरों में प्रयोग हुए लकड़ी के खंभे, बलहनी, खूंटे, खंभे गुरुवार को पूरे दिन सुलगते रहे। जले हुए धान व गेहूं को दिखाते पीड़ितों की आंखें गंगा जमुना बन गई थी। घर में रखे रजाई, गद्दा, मच्छरदानी, अनाज, नकदी, गहना जल जाने से सिर पर आन पड़ी ठंडी इन्हें चिंता में डाले हुए है। पीड़ित कहते हैं हम सब विकास में पांच वर्ष पीछे हो गए।

-गांव के निजामुद्दीन ने घारी (भैंस के विश्राम का घर) में मच्छरों से निजात पाने के लिए अलावा जलाया था। भैंस ने पैर चलाया तो जलता हुआ आग टाट पर जा गिरा। शोला बनी एक चिंगारी ने देखते ही देखते गांव के डेढ़ दर्जन रिहायशी झोपड़ियों को अपने आगोश में ले लिया।

-चितहां गांव में रियासत, मोहबत, इस्लाम, सोहबत, हैदर, मंसूर, भुईली, बलजीत, राज बहेरन, सफाउद्दीन, ताहिर, भुवन आदि की रिहायशी झोपड़ी व इसमें रखा सामान राख हो गया।


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