सुपुर्दगी : असल किरदारों की हो तस्दीक तो खुल जाए पुलिस की पोल
कुशीनगर : जिले में पशु तस्करी रोकने का जिम्मा जिन कंधो पर है अगर वह खुद इस धंधे में लिप्त हो तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात क्या होंगे? तस्करी के इस अवैध कारोबार में यहां खाकी के गठजोड़ की बात नई नहीं है। बीते मई की ही तो बात है कि पानी सिर से ऊपर होते देख साहब ने सख्त कदम उठाते हुए एक ही दिन तीस सिपाहियों को लाइन हाजिर कर सख्त संदेश दिया था। पर आज हालात फिर वही पुराने हैं। वर्दी पर उठे सवालों को लेकर खुद को पाक-साफ बताने का दावा करने वाले महकमे की असलियत यह है कि सिर्फ सुपुर्दगी में दिए गए पशुओं की तस्दीक हो जाए तो खुद-ब-खुद पुलिस का असल चेहरा सामने आ जाएगा।
दरअसल, पड़ोसी राज्य बिहार से जुड़े कुशीनगर के राष्ट्रीय राजमार्ग से सटे थानों का हाल यही है। तुर्कपट्टी, पटहेरवा व तरयासुजान थाना क्षेत्रों में पशु तस्करी के सामने आए मामलों तथा अब तक पशुओं की हुई बरामदगी की तह में जाने पर पुलिस व तस्करों के बीच चल रहे इस खेल की सच्चाई सहज ही सामने आ जाती है। सूत्र बताते हैं कि सुपुर्दगी के नाम पर लाखों का वारा-न्यारा होता है। पुलिस की स्थानीय पशु तस्करों से मिली भगत होती है, जिससे पुलिस दिन के उजाले में सुपुर्दगी को लेकर कायदे - कानून की बात तो करती है, लेकिन दिन ढलते ही पशु तस्करों के खास लोगों को सुपुर्द कर दिए जाते हैं।
बरामद पशुओं को लेकर पुलिस बकायदा अपना गुडवर्क दिखाते हुए तमाम दावे करती है और फिर शुरू होता है पशुओं की सुपुर्दगी के नाम पर अंदर का खेल। सूत्र बताते हैं कि बरामद पशुओं की सुपुर्दगी के लिए तस्कर ही अपने खास लोगों के नाम पुलिस को सुझाते हैं और इन्हें ही पुलिस पशुओं को सुपुर्द करती है। बीते मई की ही बात है तत्कालीन एसओ तुर्कपट्टी ने कायदे-कानून को ताक पर रख मोटी रकम के बदले एक पशु तस्कर को ही 33 राशि पशुओं की सुपुर्दगी दे दी थी। सुपुर्दगी के नाम पर थानाध्यक्ष के इस खेल की पोल तब उजागर हो गई जब जीडी में नाम दर्ज करने के बाद भी सुपुर्दगी न पाने वाले थाना क्षेत्र के एक किसान ने कप्तान से इसकी शिकायत कर दी। 21 मई को पुलिस ने एनएच 28 पर तस्करी के लिए बिहार ले जाए जा रहे डीसीएम लदे 33 राशि गो-वंश बरामद किया था। सुपुर्दगी के इस खेल की शिकायत पर महकमे के मुखिया ने मामले की जांच सीओ सदर को सौंपी थी।
इस खेल में पटहेरवा व तरयासुजान थाने की पुलिस भी है। जहां पुलिस-तस्कर गठजोड़ का नायाब नमूना इस धंधे को बढ़वा दे रहा है। तस्करी में बरामद पशुओं को थानेदार पुन: तस्करों के खास लोगों को ही सुपुर्दगी दे दे रहे हैं। इन थाना क्षेत्रों में बरामद हुए पशुओं की सुपुर्दगी के असल किरदारों की केवल तस्दीक की जाए तो पुलिस - तस्कर के इस गठजोड़ से परदा हट जाएगा।