औषधीय खेती की ओर बढ़ा किसानों का रुझान
-मूसली, तुलसी, एलोवेरा समेत कई किस्मों की कर रहे औषधीय खेती कौशांबी : दोआबा में औषधीय खेती के प्र
-मूसली, तुलसी, एलोवेरा समेत कई किस्मों की कर रहे औषधीय खेती
कौशांबी : दोआबा में औषधीय खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ रहा है। मूसली, तुलसी, एलोवेरा समेत कई किस्मों की औषधीय खेती कर किसान लाखों रुपये कमा रहे हैं।
परंपरागत खेती से ऊबे किसानों का रुझान औषधीय खेती की ओर बढ़ रहा है। गेहूं, धान, ज्वार, बाजरा की खेती से ऊबकर जिले के किसान मूसली, तुलसी, एलोवेरा, मुसली, सर्पगंदा व सतावर की खेती करना शुरू कर दिए हैं। औषधीय खेती करने वाले किसानों को उद्यान विभाग का अच्छा सहयोग मिल रहा है। अपर उद्यान अधिकारी मेवाराम ने बताया कि औषधीय खेती करने वाले किसानों को विभाग की ओर से अनुदान दिया जाता है। साथ ही विभाग के कर्मचारी समय-समय पर उगाई गई फसलों की जांच भी करते हैं। किसानों को सलाह भी दी जाती है। औषधीय खेती कर वह आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं।
-------------
सैकड़ों बीघे में हो रही खेती :
सदर तहसील क्षेत्र के टेवां गांव के आरपी ¨सह एक दशक से औषधीय खेती कर रहा हैं। वह अपने खेतों में लेमन ग्रास, पामारोजा, खस, सतावर, मूसली, सर्पगंधा, असगंध, तुलसी, तालमेघ एलोवेरा आदि तैयार करते हैं। उनका कहना है कि औषधीय खेती में लागत कम आती है और लाभ अधिक होता है। कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। टेवां के विजय प्रकाश मंझनपुर क्षेत्र के पश्चिम शरीरा के शफीक अहमद व सिराथू तहसील क्षेत्र के सिघिया गांव निवासी रमेशचंद्र औषधीय खेती कई वर्षों से कर रहे हैं।
----------
वाराणसी-दिल्ली में होती है बिक्री :
जिले में तीन वर्षों से औषधीय खेती किसानों द्वारा की जा रही है। इसमें मंझनपुर के टेवां, सिराथू के अझुवा व सरसवां के पूरबशरीरा के किसान औषधीय खेती की रहे हैं। तैयार किए गए ऐलोवेरा, तुलसी व सतावर को किसान दिल्ली व वाराणसी में बेचते हैं।