पैसों की खातिर अस्मत नीलाम करने का खेल
कौशांबी : महज तीन लाख रुपये के लिए अपनी आबरू का सौदा करने वाली युवती और महिलाओं पर अब प्रशासन का चाब
कौशांबी : महज तीन लाख रुपये के लिए अपनी आबरू का सौदा करने वाली युवती और महिलाओं पर अब प्रशासन का चाबुक चलने वाला है। पैसे के लिए फर्जी मामला दर्ज करा कर रानी लक्ष्मीबाई योजना के तहत पैसे लेने वाली महिलाओं से अब रिकवरी की तैयारी है। पुलिस ने जांच में फर्जी पाए गए इन मामलों में रिकवरी कराने के लिए अदालत को रिपोर्ट भेजी है।
कौशांबी जनपद आर्थिक और शैक्षिक नजरिए से काफी पिछड़ा है। यहां कुछ दिनों पहले लोगों ने रानीलक्ष्मी बाई योजना की तकनीकी खामियों का लाभ उठाना शुरू किया। इस योजना के तहत दुराचार या छेड़खानी की शिकार युवती व महिलाओं को सरकार तीन लाख की मदद देती है। इसी योजना का लाभ उठाने के चक्कर में फर्जी मामले दर्ज कराए जाने लगे। सरकार बनाम फूलचंद्र के मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने ऐसे मामलों की जांच कराई तो दुराचार और छेड़खानी के सात मामले फर्जी मिले। यह रिपोर्ट जब अदालत में पहुंची तो कोर्ट का भी माथा ठनका। अदालत के निर्देश पर जब पुलिस ने नए सिरे से जांच किया तो तमाम मामले फर्जी पाए गए।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट राज नारायण पांडेय ने राज्य बनाम फूलचंद्र के मामले में दर्ज 376, 504, 506, एससी एसटी एक्ट के मामले में विचारण के दौरान संदेह होने पर यह आदेश जारी किया। अदालत ने कहा कि भारतीय समाज में किसी भी महिला के लिए लज्जा व अस्मिता जीवन के लिए महत्वपूर्ण होती है, लेकिन अगर कोई महिला मनगढं़त कहानी बनाते हुए मुकदमा दर्ज कराती है जिसके विचारण में अभियोजन की कहानी समर्थन न करे तो उसे दोषी मानते हुए कार्रवाई की जाए।
अदालत के आदेश पर कौशांबी पुलिस ने जब इस तरह के मामलों की जांच कराई तो प्रथम दृष्टया सात मामले फर्जी पाए गए। इसकी रिपोर्ट अदालत को भेजी गई है। सरकार बनाम बृजभान ¨सह थाना पिपरी, सरकार बनाम राकेश थाना सैनी, सरकार बनाम सुरेन्द्र थाना पश्चिम शरीरा, सरकार बनाम इस्लाम थाना सरायअकिल, सरकार बनाम गुड्डू थाना कोखराज, सरकार बनाम फूलचंद्र थाना मोहब्बतपुर पइंसा, सरकार बनाम सुनील थाना सरायअकिल।
एसपी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि छेड़खानी व दुराचार की तमाम शिकायतें आती हैं। जांच के बाद कई नाम फर्जी पाए जाते हैं। न्यायालय के समक्ष भी ऐसे मामले आए हैं। इस तरह के मामलों की जांच के लिए निर्देश दिया गया था। इनमें आधा दर्जन से अधिक फर्जी मामले प्रकाश में आए हैं। इसकी सूची न्यायालय को दी गई है।