नौटंकी, बिरहा से सजी शाम, उठाया लुत्फ
कौशांबी : पारंपरिक लोक कलाओं की जब मंच पर प्रस्तुति होती है तो गीत और संगीत के प्रेमियों को तो मानो
कौशांबी : पारंपरिक लोक कलाओं की जब मंच पर प्रस्तुति होती है तो गीत और संगीत के प्रेमियों को तो मानो सब कुछ मिल गया हो। ऐसा ही कुछ दिखा चायल कस्बे के परंपरा का प्रतीक बने एतिहासिक कजली मेले में। इसमें जब लोक कलाकारों ने बिरहा की तान छेड़ी तो लोग बाग-बाग हो उठे। नौटंकी की भी प्रस्तुति हुई। कला के रसपान के लिए देर रात तक श्रोता डटे रहे। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त पुलिस बल भी मौजूद रहा।
चायल कस्बे में पिछले कई सालों से कजली मेला आयोजित किया जा रहा है। अब तो यह मेला परंपरा का प्रतीक माना जाने लगा है। इस एतिहासिक मेले में प्रतिवर्ष सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा नौटंकी, बिरहा आदि कार्यक्रम आयोजित होते हैं। दो दिवसीय कजली मेला रविवार से शुरू हुआ। पहले दिन मेले में पहले दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही है। देर रात तक मेले में रौनक रही। देर रात तक मेला क्षेत्र बिजली की रोशनी से गुलजार रहा और देर रात तक मेले में चहल-पहल बनी रही। मीना बाजार में कोई बड़ी गड़बड़ी न होने पाए इसको लेकर पुलिस मुस्तैदी से जुटी रही। मीना बाजार में जहां महिलाओं की भीड़ रही वहीं जादू, सर्कस, मिकी माउस, झूला झूलने को बच्चे उत्साहित रहे। अन्य आयु वर्गों के लोगों ने भी मेले का खूब लुत्फ उठाया।