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वाहवाही सुनने को मोहताज हुनर

कौशांबी : मात्र पांच मिनट। परिणाम अद्भुत, आश्चर्यजनक। उम्र के लिहाज से उसका हुनर यही कहने पर सबको मज

By Edited By: Published: Sat, 22 Nov 2014 05:12 PM (IST)Updated: Sat, 22 Nov 2014 05:12 PM (IST)
वाहवाही सुनने को मोहताज हुनर

कौशांबी : मात्र पांच मिनट। परिणाम अद्भुत, आश्चर्यजनक। उम्र के लिहाज से उसका हुनर यही कहने पर सबको मजबूर कर देता है। स्कैच बनाने में उसे महारत हासिल है। लोग उसकी दिल खोलकर तारीफ करते हैं, पीठ ठोंक कर शाबासी देते हैं, लेकिन मासूम कलाकार की बदनसीबी देखिए कि वह न तो सुन सकता है, न ही बोल सकता है। चेहरे के भावों व संतुष्टि को देखकर वह अपनी काबिलियत की अहमियत को परख लेता है और खिलखिलाता है। मासूम कलाकार मूकबधिर है, यही उसकी तरक्की की राह में रोड़ा बना हुआ है।

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सिराथू ब्लाक के भटपुरवा का 11 वर्षीय निर्भय कुमार मूकबधिर है। उसके पिता सुधीर पटेल की मौत हो चुकी है। निर्भय के चार भाई व एक बहन हैं। सभी की जिम्मेदारी उसकी मां पर है। निर्भय न तो बोल सकता है, न ही सुन सकता है। सर्वे के बाद बीते एक अक्टूबर को निर्भय का दाखिला एक्सीलेरेटेड लर्निग कैंप प्रथम में हुआ। वह कैंप में पढ़ाई-लिखाई कर रहा है। इसी दौरान ट्रेनर को उसकी काबिलियत का पता चला। उसने जमीन पर लकड़ी के जरिए ट्रेनर का स्कैच उतार दिया था। ट्रेनर ने उसकी प्रतिभा को भांप लिया और उसे स्कैच तैयार करने की ट्रे¨नग भी देनी शुरू कर दी। अब वह पांच मिनट में किसी का भी स्कैच बना सकता है। बाल दिवस के एक दिन पहले केपीएल के संयोजक डॉ. अरुण केशरवानी व साथियों की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें सांसद विनोद सोनकर के अलावा एसपी रतनकांत पांडेय, एएसपी अनिल कुमार ¨सह, सीएमओ डॉ. राजकुमार, डीएसओ एके ¨सह आदि अफसर शामिल हुए। सभी निर्भय की कला से रूबरू हुए और उसकी तारीफ हुई। सांसद का उसने स्कैच बनाया तो वह गदगद हो गए। पीठ ठोंककर उसको शाबासी दी। उस दिन निर्भय सबको अपनी कला पर मुस्कुराता देख खिलखिलाता रहा, लेकिन किसने उसकी तारीफ में क्या कहा, यह वह नहीं सुन सका। इसी बात का गम है उसको।

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कौन देगा उसकी कला को पहचान

कौशांबी : बाल दिवस से एक दिन पूर्व आयोजित कार्यक्रम की खास बात यह रही कि उसमें सांसद समेत कई अफसर आए हुए थे। निर्भय की सबने तारीफ की, लेकिन उसकी कला को एक नया आयाम व मुकाम देने की किसी ने कोई पहल नहीं की, न ही ऐसा कोई आश्वासन दिया ताकि उसका भविष्य संवर सके। पुलिस विभाग को स्कैच बनाने वालों की जरूरत पड़ती है। इसीलिए पुलिस कर्मियों को इसकी बाकायदा ट्रे¨नग भी दिलाई, लेकिन इस पर वह खरे नहीं उतर पा रहे हैं। क्या पुलिस विभाग निर्भय को नई पहचान देगा? इसको लेकर तमाम तरह की चर्चाएं हैं।


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