सचल लोक अदालत में दी गयी विधिक जानकारी
कानपुर देहात, जागरण संवाददाता : न्याय पाना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। यदि उसके पास न्यायालय में पैर
कानपुर देहात, जागरण संवाददाता : न्याय पाना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। यदि उसके पास न्यायालय में पैरवी करने के लिए अधिवक्ता नहीं है तो उसे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से निशुल्क अधिवक्ता मिलेगा। यह बात शुक्रवार को अकबरपुर ओवरब्रिज के नीचे आयोजित सचल लोक अदालत में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मोहिंदर कुमार ने कही।
उन्होंने कहा कि लोक अदालत की अवधारणा न्याय में हो रही देरी का नकारना है। वर्तमान में न्याय व्यवस्था में होने वाले विलंब को गंभीर माना जाता है। न्यायालय में एकत्र होते मुकदमों के बोझ तथा विवादों के निस्तारण में लंबा समय लगता है। इस समस्या का हल निकालने के लिए ही लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है। विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य जितेंद्र कुमार ने कहा कि हमारे देश में न्याय व्यवस्था के तहत पंच परमेश्वर व न्याय पंचायत की अवधारणा प्राचीन समय से चली आ रही है। लोक अदालत का विचार इन पुराने विचारों का विस्तार माना जा सकता है। इसमें वादी अपनी इच्छा से आता है। उस पर कोई दबाब नहीं होता है। उन्हें यदि लगे कि वह किसी निर्णय पर पहुंच सकते है तो वे अपनी भागीदारी निभाते है। इसके पहले भोगनीपुर में आयोजित कार्यक्रम में न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित कुमार तिवारी ने सात वाद निस्तारित किए। जबकि अकबरपुर में मोटर यान अधिनियम के तहत रखे गए 41 मामलों में 16 का निस्तारण कर 2700 रुपये का जुर्माना वसूला गया। इस मौके पर सिविल जज (वरिष्ठ वर्ग) वायु नंदन मिश्रा, योगेंद्र प्रताप सिंह चौहान, दीपक गोस्वामी, एआरटीओ प्रथम आरके वर्मा, द्वितीय प्रभात पाण्डेय, यात्री कर अधिकारी विनय पाण्डेय आदि रहे।