उपेक्षा का शिकार सबलपुर का शहीद स्मारक
झींझक, संवाद सहयोगी : शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बांकी निशा हो
झींझक, संवाद सहयोगी : शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बांकी निशा होगा। अब इन पंक्तियां को भी शायद प्रशासन और जिम्मेदार भूलते जा रहे है, इसीलिए गणतंत्र दिवस का पर्व को दो दिन शेष होने के बावजूद सबलपुर का शहीद स्तंभ उपेक्षा का शिकार है। इसी जगह 1857 के प्रथम स्वंतत्रता संग्राम में 13 क्रांतिकारियों को फांसी दी गई थी।
जिले के रणबांकुरों के साथ सबलपुर के जाबांजों ने भी 1857 के प्रथम स्वंतत्रता संग्राम में भागीदारी की थी। मई 1857 में अंग्रेज अफसर कालिन कैम्पवेल की सेना से लोहा लेते पकड़े गए सबलपुर के उमराव सिंह, देवचंद्र, रत्ना राजपूत, भानू राजपूत, परमू राजपूत, केशवचंद्र,धर्मा,रमन राठौर,चंदन राजपूत, बल्देव राजपूत, खुमान सिंह, करन सिंह तथा झींझक के बाबू उर्फ खिलाड़ी नट को गांव में नीम के पेड़ पर फांसी दी गई थी। मौजूदा समय में नीम का पेड़ नहीं रहा लेकिन चबूतरा व स्मृति स्तंभ अभी भी शहीदों की याद दिलाता है। उपेक्षा के चलते यह स्थल अब वीरान होता जा रहा है। नीम के पेड़ का चबूतरा देखरेख के अभाव में ध्वस्त हो रहा है और परिसर में घास व गंदगी अव्यवस्था की हकीकत बयां कर रही है। वर्ष 2003 में तत्कालीन विधायक कमलेश पाठक ने इस स्थल का सुंदरीकरण कराया था। एसडीएम डेरापुर राजीव पांडेय ने बताया कि बीडीओ झींझक को शहीद स्मारक परिसर की सफाई कराने व स्थल की मरम्मत कराने के लिए निर्देशित किया जा रहा है।