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नवजात के टीकाकरण में न करें लापरवाही

कानपुर देहात, जागरण संवाददाता : मां के दूध में कोलस्ट्रम नामक तत्व पाया जाता है, जो नवजात बच्चों में

By Edited By: Published: Sat, 22 Nov 2014 10:16 PM (IST)Updated: Sat, 22 Nov 2014 10:16 PM (IST)

कानपुर देहात, जागरण संवाददाता : मां के दूध में कोलस्ट्रम नामक तत्व पाया जाता है, जो नवजात बच्चों में रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करता है। इस लिए जन्म के एक घंटे के अंतराल में नवजात को स्तनपान कराना और टीकाकरण आवश्यक है। यह सलाह शनिवार को जिला अस्पताल में आयोजित नवजात शिशु देखभाल गोष्ठी में वक्ताओं ने दी।

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स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में नवजात शिशु देखभाल सप्ताह के तहत जिला अस्पताल में जिलाधिकारी मासूम अली सरवर ने गोष्ठी का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को नवजात बच्चों को स्तनपान कराने व टीकाकरण के लिए जागरूक करने की महती आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मातृ एवं शिशु मृत्युदर नियंत्रित करने के लिए सरकार कई योजनाएं संचालित कर रही है लेकिन जानकारी के अभाव में लोगों को सही ढंग से लाभ नहीं मिल रहा है। सीएमओ डॉ. वीपी सिंह ने कहा कि शिशु जन्म पर तीन से छह दिन तक मां के दूध में कोलस्ट्रम नामक पीला तत्व पाया जाता है, जो बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास कर उनका पोषण करता है। उन्होंने महिलाओं को बच्चे के जन्म के एक घंटे के अंतराल में स्तन पान कराने की सलाह दी। कहा कि छह माह तक के बच्चे को अलग से पानी देने की भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि मां के दूध में पोषक तत्वों के साथ 90 फीसद पानी होता है। बाहर का पानी देने से बच्चे को संक्रमण व दस्त की बीमारी का खतरा बन रहता है। जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसपी त्रिपाठी ने कहा कि मां के दूध में एन्जाइम व प्रोटीन तथा एम्यूनोग्लोबिन- ए व जी होते हैं, जो पेट से मल को बाहर निकालने तथा आंतों में संक्रमण से बचाव करता है। मेडिकल कालेज से आए डॉ. आरपी सिंह ने कहा कि मां के दूध में विटामिन ए तत्व काफी मात्रा में होता है। जन्म के बाद घुट्टी व बकरी का दूध देने के रिवाज की बजाय मां का स्तनपान ही लाभदायक है। सर्दी जुकाम की स्थिति में भी स्तनपान बंद नहीं करना चाहिये। महिला सीएमएस डॉ. अर्चना श्रीवास्तव ने कहा कि सात माह में बच्चे के अंदर अमाइलस नामक पदार्थ बनना शुरू होता है, जो रेशेदार पदार्थ व आनाज पचाने में सहायक होता है। एसी हालत में बच्चों को पूरक आहार में दलिया व खिचड़ी देना चाहिये। उन्होंने बच्चों को वसा-घी देने में सावधानी बरतने की सलाह देते हुए कहा कि बच्चों में पाचनतंत्र कमजोर होता है। जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. एके अग्रवाल ने कहा कि बच्चों में कार्बोहाइड्रेड एवं प्रोटीन तथा अन्य पोषक तत्वों विटामिन ए,आइरन, आयोडीन, जिंक आदि की कमी से कुपोषण की स्थिति बनती है। डीआईओएस नंदलाल, डॉ. अवधेश पांडेय, डॉ. शिशिरपुरी, डॉ. आरएन सिंह, डॉ.एके वर्मा,राजेंद्र कुमार सोनी, डीपीएम अमिताभ वर्मा,रत्‍‌नेश बाजपेई आदि मौजूद रहे।


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