दूर करना होगा बेनामी संपत्ति अधिनियम की खामियां
जागरण संवाददाता, कानपुर : सरकार ने बेनामी संपत्ति अधिनियम 2016 को लागू तो कर दिया है किंतु इसमें बहु
जागरण संवाददाता, कानपुर : सरकार ने बेनामी संपत्ति अधिनियम 2016 को लागू तो कर दिया है किंतु इसमें बहुत सी खामियां हैं जिन्हें दूर किया जाना चाहिए। ऐसा न करने पर तमाम विधिक विवाद पैदा होंगे और सरकार की ऊर्जा उन्हें सुलझाने में लगेगी।
यह बात दिल्ली से आए वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट सुनील अरोड़ा ने सिविल लाइंस स्थित सीए इंस्टीट्यूट के सभागार में कानपुर चार्टर्ड एकाउंटेंट सोसाइटी स्टडी सर्किल की सेमिनार में कही। उन्होंने कहा कि इसमें आधार सीमा नहीं निर्धारित की गई है जिसके कारण छोटे-छोटे मामले भी उठ सकते हैं। यह संशोधन किया तो अब है किंतु इसे लागू 1988 से किया गया है। इसमें यदि एक व्यक्ति ने किसी दूसरे से उधार रकम ली और देने वाला किन्हीं कारण से रकम देने से मुकर जाता है तो सिर्फ लेने वाला ही फंसेगा जबकि उसका कोई दोष नहीं है। इस तरह की खामियों को दूर करना होगा। सेमिनार की अध्यक्षता सेमिनार चेयरमैन दीपक कपूर ने की। स्टडी सर्किल चेयरमैन नवल कपूर, सेक्रेट्री महेन्द्र नाथ के अलावा सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के ट्रेजरार दीप कुमार मिश्र, विवेक खन्ना, उमेश खंडेलवाल, संजय अग्रवाल, अतुल मेहता, प्रशांत रस्तोगी आदि रहे।
कौन सी संपत्ति शामिल होंगी
इस संशोधन के अनुसार यदि किसी आयकर छापे या सर्वे में किसी के यहां नकदी मिलती है और वह उसका स्त्रोत नहीं बता सका तो जिसके यहां वह मिली है उसी की मानी जाएगी। बैंक खातों में जमा एफडी या लोन आदि लिया गया है तो वह भी इसमें शामिल हो जाएगी। स्त्रोत न पता होने वाली चल संपत्ति भी इसी दायरे में आएंगी।
पेनाल्टी का प्रावधान
जो भी बेनामी लेनदेन पकड़े जाएंगे, उन पर वर्तमान मार्केट रेट के अनुसार कीमत का 25 फीसद पेनाल्टी ली जाएगी। इसमें एक साल से लेकर सात साल तक की सजा का प्रावधान है। यदि कोई प्रापर्टी बी के पास है किंतु वह ए के नाम से थी तो दोनो ही दोषी माने जाएंगे।
कौन से लेनदेन दायरे के बाहर रहेंगे
एचयूएफ के कर्ता, कंपनी निदेशक, साझीदार कंपनी के पार्टनर या किसी ट्रस्ट के ट्रस्टी के नाम से कोई प्रापर्टी है तो वह बेनामी में नहीं आएगी किंतु जिससे वह प्रापर्टी खरीदी गई है, उसका स्त्रोत पता होना चाहिए।
कोई भी संस्था दे सकेगी नोटिस
पुलिस, आयकर विभाग, सेंट्रल एक्साइज आदि कोई भी विभाग बेनामी संपत्ति पर नोटिस जारी कर सकता है। यदि नोटिस मिलने के पहले ही संपत्ति बेच दी और रकम नकद या चेक से प्राप्त कर ली तो उस पैसे को जब्त कर लिया जाएगा और यदि प्राप्त धन से कोई नई खरीद की तो वह भी जब्त होगी। नोटिस मिलने के बाद तो वह संपत्ति बेची ही नहीं जा सकती है।