बस का टिकट बना मुसीबत, फूट-फूटकर रोया यात्री
जागरण संवाददाता, कानपुर : शहीद मेजर सलमान खान अंतर्राज्यीय झकरकटी बस अड्डा पर एक यात्री फूट-फूटकर रो
जागरण संवाददाता, कानपुर : शहीद मेजर सलमान खान अंतर्राज्यीय झकरकटी बस अड्डा पर एक यात्री फूट-फूटकर रो रहा था क्योंकि वह अपने बहन की शादी की तैयारी करके दिल्ली से बिधूना जा रहा था लेकिन उसका बैग बस में छूट गया। यात्री को कंडक्टर ने जो टिकट दिया था, उसमें न तो बस का नंबर था और न ही यात्रा का कोई विवरण।
गुरुवार को यात्री दिल्ली से बिधूना के लिए बस में सवार हुआ। देर रात बिधूना तिराहा पर बस रुकवाकर उसने सारा सामान नीचे उतारा लेकिन मुख्य बैग कंडक्टर की सीट पर ही रह गया और बस चली गई। शुक्रवार को रोता-बिलखता युवक झकरकटी बस अड्डा पहुंचा और वहां सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक राजेश सिंह से हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगा। मेरी बहन की शादी है, मेरा बैग बस में ही रह गया है। एआरएम ने यात्री का टिकट देखा तो उसमें कुछ प्रिंट ही नही था। यात्री डिपो का नाम भी नहीं बता पाया। यात्री सिर्फ इतना बता पाया कि बस दिल्ली से लखनऊ जा रही थी। एक घंटे माथापच्ची के बाद एआरएम को ये पता चला कि बस बुलंदशहर डिपो की है। एआरएम को तमाम प्रयास के बाद कंडक्टर का मोबाइल नंबर मिला तो एआरएम ने सामान मंगवाया। ऐसे मामले बस अड्डे पर दिन भर आते रहते हैं।
--------------
इंसेट..
अपना काम पक्का
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों के मैनुअल टिकट में खूब खेल पकड़े गए तो कंडक्टर को ईटीएम ( इलेक्ट्रानिक्स टिकट मशीन) थमा दी गई लेकिन अब इस मशीन में वन टू का फोर करने के तरीके निकाल लिए गए हैं। इस मशीन से दिए जा रहे टिकट का प्रिंट ही नदारद है।
ईटीएम में ब्योरा नहीं
ø किस डिपो की बस है, बस का नंबर क्या है, कहां से कहां तक जाना है, टिकट का मूल्य कितना है, टिकट कितने बजे प्रिंट हुआ, किस बस का टिकट है आदि जानकारी इलेक्ट्रानिक्स टिकट मशीन में आती ही नहीं हैं।
--------------
इंसेट..
बूढ़ी मशीनें ज्यादातर खराब
परिवहन निगम की बसों के कंडक्टर को बूढ़ी और खराब इलेक्ट्रनिक्स मशीनें जान बूझकर दी गई हैं ताकि कोई गड़बड़ी पकड़ में ही नहीं आए। ज्यादातर मशीनों के टिकट में कुछ समझ में ही नहीं आता है।
--------------
इंसेट..
बस कंडक्टर द्वारा डिपो में जब हिसाब दिया जाता है तो टिकट का पूरा ब्यौरा चेक होता है, किसी बस के ईटीएम की प्रिंटिंग खराब हो सकती है। ऐसी मशीनों की नियमित चेकिंग कराकर उनकी गड़बड़ी ठीक कराई जाती है। - नीरज सक्सेना, क्षेत्रीय प्रबंधक, परिवहन कानपुर परिक्षेत्र