'आमजन निभाएं भारत के नवनिर्माण में भूमिका'
जागरण संवाददाता, कानपुर : इसे विडंबना ही कहेंगे कि आजादी के 70 वर्षो बाद भी देश गरीबी, सं
जागरण संवाददाता, कानपुर :
इसे विडंबना ही कहेंगे कि आजादी के 70 वर्षो बाद भी देश गरीबी, संप्रदायवाद, जातिवाद की समस्या से जूझ रहा है। इन्हें दूर करने के लिए संकल्प लेने पड़ रहे हैं। राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी कहें या फिर व्यवस्थागत खामी, इतने वर्षो में देश की तस्वीर बदल जानी चाहिए थी, लेकिन नहीं बदली। आज का संकल्प होना चाहिए था-विज्ञान, तकनीक व कृषि क्षेत्र में समर्थ भारत का। हालांकि, अभी भी देर नहीं हुई है। अगर आमजन चाह लें तो भ्रष्टाचार, आतंकवाद, गरीबी और बेरोजगारी आदि समस्याओं से मुक्त कर भारत के नवनिर्माण में अहम भूमिका निभा सकते हैं। सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में 'कैसे सार्थक हो संकल्प से सिद्धि का मंत्र' विषय पर चर्चा करते हुए उक्त विचार रखे डीएवी कॉलेज में राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ.दीपशिखा चतुर्वेदी ने।
डॉ. दीपशिखा ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन को आज भले ही 75 वर्ष पूरे हो गए हों, पर अगर उस आंदोलन से जुड़े लोगों के मूल्यों, आदर्शो व सिद्धांतों जैसी तस्वीर शायद अब नहीं दिखती है। आज लोगों की जो सोच है, वह कहीं न कहीं भारत के नवनिर्माण में बाधा का काम करती दिख रही है। ऐसा नहीं होना चाहिए, विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के नवनिर्माण को लेकर आमजन को एकजुट होना होगा।
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चाहिए स्वच्छ लीडरशिप व प्रशासन
डॉ. दीपशिखा का कहना है कि जनता के बीच में विश्वास पैदा करने के लिए नेतृत्व को बहुत काम करना होगा। या यूं कहें कि देश में स्वच्छ लीडरशिप और प्रशासन की आवश्यकता है, तभी कुछ बेहतर बदलाव सामने आ सकेंगे।जब आम आदमी को परिवर्तन दिखेगा तो वह स्वयं देश के विकास में योगदान के लिए पूरी क्षमता से तैयार हो सकेगा।
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इन संकल्पों का रखना होगा ध्यान
-गरीबी से मुक्ति, स्वच्छ भारत, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, संप्रदायवाद व जातिवाद से मुक्ति।
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विभिन्न मंचों-स्कूल कॉलेजों में हों संगोष्ठियां
देश के विकास को लेकर आमजन की सोच क्या है, बच्चे क्या सोचते हैं, इसके लिए विभिन्न मंचों और स्कूल कॉलेजों में गोष्ठियों आदि का कार्यक्रम होना चाहिए। लोगों के आए हुए विचारों पर विमर्श होना चाहिए। हर समस्या के समाधान के लिए उसकी तह तक जाना होगा, तभी सफलता मिलेगी।