अधूरी ही रही आदर्श वार्ड की तलाश
जागरण संवाददाता, कानपुर : शहर को स्मार्ट बनाने की तैयारी चल रही है, लेकिन दैनिक जागरण के सवे
जागरण संवाददाता, कानपुर : शहर को स्मार्ट बनाने की तैयारी चल रही है, लेकिन दैनिक जागरण के सर्वे में एक भी वार्ड स्मार्ट नहीं मिला है। कहीं गंदगी की समस्या है तो कहीं सड़क लापता है। बाशिंदे पेयजल के लिए जूझ रहे हैं। शहर अब तक ब्रिटिशकाल की सीवर लाइन के भरोसे है वहीं पार्किग के बिना शहर के स्मार्ट होने की कल्पना अधूरी ही है।
अप्रैल से अगस्त तक जागरण की टीम ने शहर के एक-एक वार्ड का हाल छापा। कोई भी ऐसा वार्ड नहीं मिला जिसमें समस्याएं न हों। हाउस टैक्स देने के बाद भी लोग सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। सोसाइटी क्षेत्रों के वार्डो का हाल और बेहाल है।
27 लाख जनता को नहीं मिल रही गंदगी से निजात
सभी 110 वार्ड गंदगी से जूझ रहे हैं। अविकसित क्षेत्रों वाले वार्डो का हाल और भी बेहाल है। दो-दो दिन में कूड़ा उठता है। सड़क में फैले कूड़े की वजह से लोगों को नाक पर रुमाल रखकर निकलना पड़ता है। मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ रहा है। ऐसा नहीं कि पॉश क्षेत्र वाले वार्डो में गंदगी न पड़ी रहती हो। पोस्टमार्टम हाउस स्वरूप नगर के बगल में स्थित कूड़ाघर में ही दोपहर तक गंदगी के ढेर सड़क पर पड़े रहते हैं। पुराना कानपुर, लक्ष्मीपुरवा, मसवानपुर, चकेरी, खलासी लाइन, नारामऊ, सनिगवां, बेनाझाबर, नानकारी, दलेलपुरवा, जाजमऊ उत्तरी, कर्रही, पशुपति नगर, किदवईनगर दक्षिणी, गांधीग्राम, हरबंश मोहाल, फूलबाग, दलेलपुरवा, नाला रोड, चमनगंज, पटकापुर, कलक्टरगंज बेगमपुरवा वार्ड समेत सभी वार्डों का यही हाल है कि कूड़ा समय पर नहीं उठता है। 72 वार्डों में घर-घर से कूड़ा उठाने का दावा किया जा रहा है लेकिन ऐसा सर्वे मे इसकी उलट तस्वीर दिखती है। बड़ा सवाल यह है कि हर घर से कूड़ा उठ रहा है तो फिर सड़क पर क्यों फेंका जा रहा है?
12 वर्ष से पानी आने की उम्मीद, 70 वार्ड जूझ रहे पानी को
12 वर्ष पहले पेयजल आपूर्ति के लिए पाइप डालने को खोदाई की गई थी तो लोगों को लगा था कि जल्द पानी की समस्या से राहत मिल जाएगी। राहत तो नहीं मिली उल्टे खोदी सड़कों से मुसीबत और बढ़ गई। वार्ड 9 में कंपनी बाग से बैराज तक वार्ड तक बीते आठ वर्ष से सड़क खोदकर डाल दी गई है। बैराज प्लांट से मुख्य पाइप डालने के बाद बदलकर अब लोहे के पाइप डाले गए हैं। पुराना कानपुर वार्ड में पानी का खजाना यानी गंगा है लेकिन फिर भी पेयजल के लिए लोग जूझ रहे हैं। हैंडपंप खराब पड़े हैं। साढ़े चार हजार हैंडपंप रीबोर का इंतजार कर रहे हैं। शायद ही ऐसा कोई वार्ड होगा जिसमें हैंडपंप या सबमर्सिबल पंप खराब न हो। अविकसित वार्डो का हाल बेहाल है।
जर्जर सीवर लाइन व डाट नाले के भरोसे कई वार्ड
ब्रिटिश काल की जर्जर सीवर लाइन व डाट नाले के भरोसे कई वार्ड हैं। जर्जर सीवर लाइन में कई जगह लीकेज के चलते सड़क पर गंदा पानी भरने लगा है। शहर के पॉश इलाके तक जर्जर सीवर व डाट नाला की समस्या से जूझ रहे हैं। यहां बिना बरसात के ही पानी भरा रहता है। अब जर्जर डाट नाले धंसने लगे हैं। वार्ड 13 में ठंडी पुलिया के पास डाट नाला धंस जाने से सड़क बैठ गई थी। बीते दस दिन से रास्ता बंद पड़ा है। लक्ष्मीपुरवा, चुन्नीगंज, ग्वालटोली, गांधीनगर, चकेरी, कल्याणपुर, रायपुरवा, फजलगंज, कर्रही, भन्नानापुरवा, तलाक मोहाल, बेगमपुरवा, कलक्टरगंज, कर्नलगंज, हंसपुरम, ओमपुरवा, चटाई मोहाल, बर्रा, किदवईनगर दक्षिणी समेत कई वार्डो में ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त है और जल निकासी की समस्या विकट है।
अतिक्रमण से जूझ रहे सभी वार्ड
गंदगी की तरह शहर का हर वार्ड अतिक्रमण से भी जूझ रहा है। अतिक्रमण हटाने के लिए हर वर्ष लाखों रुपये खर्च होते हैं लेकिन दस्ते के लौटते ही फिर लोग कब्जा कर लेते हैं। सुप्रीम कोर्ट तक का आदेश है कि राहगीरों के लिए फुटपाथ खाली कराए जाएं लेकिन अतिक्रमणकारियों ने फुटपाथ के साथ ही सड़कें भी घेर ली हैं। दबंग लोग फुटपाथ लाखों रुपये में बेच देते हैं। दुकानदारों ने फुटपाथ को शोरूम बना दिया है और दुकान को स्टोर रूम बना दिया है। बेकनगंज, सीसामऊ, पीरोड, लालबंगला, गुमटी नंबर, चावला मार्केट, नवीन मार्केट, परेड मार्केट, फूलबाग, स्वरूप नगर समेत कई बाजारों में वाहन तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। त्योहार में स्थिति और भी भयावह हो जाती है।
पार्किग सड़क पर
मुख्य बाजारों व क्षेत्रों में पार्किग सड़क पर रहती है। इमारतें बिना पार्किग के खड़ी हो गईं। पार्किग न होने के कारण सड़कों पर वाहन खड़े कराए जाते हैं। गुमटी नंबर पांच, सीसामऊ, बेकनगंज, स्वरूप नगर, आर्यनगर, जवाहर नगर, नेहरू नगर, प्रेमनगर, चमनगंज समेत कई इलाकों में बिना पार्किग के व्यावसायिक व आवासीय इमारतें खड़ी हो गई हैं। पार्किग के नाम पर कैनाल पटरी, परेड व फूलबाग में मल्टी लेवल पार्किग बनाई जा रही है। अभी तक एक भी चालू नहीं हो पाई है। यह भी डेढ़ हजार वाहनों के लिए ही व्यवस्था है जबकि शहर में रोज एक समय में एक लाख से ज्यादा वाहन पार्किग में खड़े होते है।
आवारा जानवरों से भी नहीं मिली निजात
110 वार्डो में एक भी ऐसा वार्ड नहीं है जिसमें आवारा जानवर न हो। आवारा जानवरों के खिलाफ केवल कागजी अभियान चलता रहा। शहर को स्मार्ट बनाने की तैयारी चल रही है। बड़े-बड़े प्रोजेक्ट तैयार किए जा रहे हैं लेकिन आवारा जानवरों से निजात दिलाने के लिए कोई भी प्रोजेक्ट तैयार नहीं किया गया है। शहर में सड़क के साथ ही घरों की छज्जे व छतें तक सुरक्षित नहीं हैं। नीचे आवारा जानवर तो ऊपर बंदरों का आतंक है। अब तक कई लोग जान गवां चुके हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं होता।
अव्यवस्थित ट्रैफिक ने छीना चैन
शहर के अव्यवस्थित ट्रैफिक ने वार्डो का चैन छीन लिया है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक के वार्ड जाम से जूझ रहे हैं। ई-रिक्शा व टेंपो के आड़े तिरछे दौड़ने के कारण जाम लगा रहता है। त्योहार में स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है। ऐसा कोई इलाका नहीं होता है जहां जाम न लगता हो।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
जागरण के वार्ड अभियान में जहां भी गंदगी की समस्या सामने आई, उसको दूर कराया गया। गंदगी के निजात के लिए नियमावली 2016 तैयार हो गई है। इसमें जुर्माने की भी व्यवस्था की गई है। सभी स्वास्थ्य अफसरों की बैठक लेकर आदेश दिए हैं कि शिकायत मिलने पर चौबीस घंटे में सफाई कराई जाए। अतिक्रमण हटाया जाता है, फिर लग जाता है इसके लिए पुलिस को रिपोर्ट भेजी जाती है। पेयजल व सीवर योजनाओं को जल्द पूरा कराने के लिए जल निगम के अभियंताओं को निर्देश दिए हैं। सूअर पकड़ने के लिए पीएसी मांगी है। कुत्तों के बंध्याकरण के लिए टेंडर कराया है। - अविनाश सिंह, नगर आयुक्त