मां ने चरवाहे को दिए थे दर्शन
कानपुर, स्टाफ रिपोर्टर : शास्त्रीनगर स्थित काली मठिया मंदिर की स्थापना लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व हुई थी। तब यह मोहल्ला मतैया पुरवा के नाम से जाना जाता था। यहां एक चरवाहे को खुदाई के दौरान मां काली की प्रतिमा मिली थी। तब यहां छोटा सा मंदिर बनाया गया था। काली मठिया को भव्य स्वरूप 1971 में दिया गया। मंदिर में हजारों भक्त दर्शन को आते हैं।
मंदिर में माता काली, भगवान गणेश, शिव, कार्तिकेय, पार्वती, हनुमान जी की प्रतिमा भी उसी समय स्थापित की गयी थी। अब मंदिर के मुख्य द्वार पर दो शेरों की प्रतिमाओं की स्थापना की गयी है। बताया जाता है कि मतैया पुरवा निवासी एक चरवाहा यहां गाय चराने आता था। गाय प्रतिदिन टीले पर एक ही स्थान पर बैठ जाती थी। चरवाहे ने एक दिन टीले पर जाकर देखा तो गाय उसी स्थान पर बैठी थी और उसके थन से दूध टपक रहा था। उसने वहां खुदाई की तो मां काली की मूर्ति मिली। इस पर लोगों ने वहां पूजन शुरू कर दिया। मान्यता है कि काली मठिया मंदिर में आने वाले भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती है।
मंदिर जाने का रास्ता
रावतपुर से नीरक्षीर चौराहा फिर वहां से पांडुनगर गुरुद्वारा होते हुए शास्त्रीनगर पुलिस चौकी के पास स्थित मंदिर पहुंचे। यदि पनकी की ओर से आना है तो चार खंभा कुआं गड़रियनपुरवा होते हुए शास्त्रीनगर पहुंचे। जरीब चौकी से गड़रियनपुरवा होते हुए मां के दरबार में पहुंचा जा सकता है।
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