इनके लिए क्या होली क्या दीपावाली
प्रकरण-एक : खलासी लाइन निवासी श्याम सुंदर एल्गिन मिल एक के बिनता विभाग में कार्यरत थे। सेवानिवृत्ति हो गयी पर मिल बंद होने की वजह से भुगतान नहीं मिला। घर पर पत्नी केशकली, पुत्री सुनीता, अनीता व पुत्र राकेश हैं। इतना बड़ा परिवार और खर्च के लिए श्याम सुंदर को भविष्यनिधि से मिलने वाली सात सौ रुपये पेंशन। परिवार का पेट भरें या त्योहार मनायें।
प्रकरण-दो : मिल के तिरासल विभाग में कार्यरत रज्जन लाल 51 वर्ष के हैं। न पेंशन का सहारा न वेतन का। मिल के बाहर साइकिल पंचर की दुकान खोल ली। जैसे-तैसे पुत्री सोनी, मोनी, पूजा, पुत्र आशीष व पत्नी संग गुजर-बसर कर रहे हैं। मकान का किराया भी देना है। उनके लिए होली से ज्यादा जरूरी परिजनों का पेट भरना है।
कानपुर, संवाददाता : ये दो उदाहरण यह बताने के लिए काफी है कि शहर के मजदूर मुफिलिसी के किस दौर में हैं। महंगाई कमर तोड़े है और आय का कोई जरिया नहीं। एल्गिन मिल एक चलवाने के लिए 3203 दिन से कर्मचारी धरने पर बैठे हैं। इन कर्मियों के लिए होली या दीपावाली का कोई मतलब नहीं है।
वर्ष 2003 से कानपुर ट्रेड यूनियन काउंसिल ने एल्गिन मिल एक चलाने की मांग को लेकर धरना शुरू किया था। 3203 दिन गुजर गये लेकिन मिल नहीं चली। बीआईसी की लालइमली, कानपुर टेक्सटाइल व एल्गिन मिल दो के अलावा एनटीसी की मिलों में मजदूरों को होली से पहले कुछ भी नहीं मिला। श्रम विभाग में कर्मियों ने होली से पहले वेतन मांगा था लेकिन नहीं मिला। यही स्थिति वाणिज्यकर, सिंचाई विभाग समेत प्रदेश के अन्य विभागों में भी रही। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद अध्यक्ष भूपेश अवस्थी व प्रभात मिश्र ने कहा कि होली पर कर्मियों को कुछ एडवांस मिल जाता तो राहत मिल जाती लेकिन अफसरों ने ध्यान नहीं दिया।
डंकन में वेतन वितरण शुरू
कानपुर : डंकन इंडस्ट्रीज (केएफसीएल) के कर्मियों और सेवानिवृत्त कर्मियों को इस बार होली खूब फली। त्योहार से पहले ही उन्हें बकाया रकम का पचास फीसदी धन वितरण शुरू कर दिया गया। वितरण की शुरूआत अधिशासी निदेशक सुनील जोशी ने की। आईईएल इंप्लाइज यूनियन के अरविंद कुमार ने बताया कि पहले दिन पांच सौ से ज्यादा कर्मियों ने भुगतान ले लिया।
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