धुएं में उड़े 29 लाख, फिर भी नहीं मरे मच्छर
जागरण संवाददाता, कानपुर : नगर निगम के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई से अब तक मच्छरों के खात्
जागरण संवाददाता, कानपुर : नगर निगम के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई से अब तक मच्छरों के खात्मे को 29 लाख रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। विभाग के इस दावे के उलट शहर में तस्वीर डरावनी है। फागिंग में लाखों रुपये धुआं होने के बावजूद भी मच्छर कहर बरपा रहे हैं। बारिश के साथ ही इनका आतंक भी बढ़ गया है। इनकी वजह से डेंगू का डंक भी।
नगर निगम का दावा है कि फागिंग मशीन से 440 जगह और हेड मशीन से सौ जगह फागिंग की गई है। वाहन से होने वाली फागिंग में एक बार में 6418 रुपये का खर्च आता है। इस हिसाब से 28 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। एक लाख रुपये से अधिक खर्च करके हैंड मशीन से फागिंग करायी जा चुकी है। इसके बावजूद शहर का शायद ही ऐसा कोई स्थान होगा, जहां पर मच्छर न हों।
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फागिंग के इतंजाम
-19 वाहन में फागिंग मशीन
-39 हैंड मशीन
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वाहन से फागिंग पर एक बार का खर्च
दवा में बनाने में 60 लीटर डीजल की कीमत-3360 रुपये, आठ लीटर पेट्रोल की कीमत-560 रुपये, तीन किलोग्राम मैलाथियान टेक्नीशियन 95 की कीमत-1050 रुपये। कुल खर्च - 4970 रुपये
वाहन चलाने में एक दिन का खर्च- आठ लीटर डीजल की कीमत 448 रुपये
चालक का एक दिन का खर्च - एक हजार रुपये
कुल खर्च - 6418
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हेड मशीन से फागिंग का खर्च
ऐसे बनती दवा : दस लीटर डीजल की कीमत-560 रुपये, दो लीटर पेट्रोल की कीमत-140 रुपये, सौ ग्राम मैलाथियान टेक्नीशियन 95 की कीमत-35 रुपये
एक दिन का खर्च - 735
चालक - 300 सौ रुपये
कुल खर्च - 1035
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क्या कहते है जिम्मेदार
फागिंग के बावजूद मच्छर रह जाते हैं, इसका कारण है। फागिंग इलाकों में केवल सड़क से की जाती है। कई जगह ऐसे इलाके रह जाते हैं, जहां फागिंग वाहन पहुंच पाना मुमकिन नहीं। बदल-बदल कर हर जोन में हर हफ्ते फागिंग होती है।
डा. पंकज श्रीवास्तव
नगर स्वास्थ्य अधिकारी
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फागिंग के लिए अपर नगर आयुक्त को जिम्मेदारी दी गई है। रबिश का प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी पंकज श्रीवास्तव को बना दिया है। इनकी देखरेख में फागिंग अभियान शुरू कराया जा रहा है। 13 सितंबर तक फागिंग अभियान चलाया जा रहा है।
- अविनाश सिंह, प्रशासक नगर निगम